मुंबई March 23, 2010
हल्दी के वायदा कारोबार में जारी भारी उठापटक को एफएमसी का 'कोड़ा' भी रोकने में नाकाम साबित हुआ है।
एफएमसी द्वारा स्पेशल मार्जिन लगाने के बावजूद हल्दी वायदा में अपर सर्किट और लोअर सर्किट का खेल बंद नहीं हो पा रहा है। दो हफ्ते के अंदर हल्दी वायदा में चार बार अपर और चार बार लोअर सर्किट लग चुका है और कीमतों में भी करीब 45 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। सटोरियों की सक्रियता को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
स्पेशल मार्जिन लगाने के बावजूद सोमवार को बाजार खुलते ही हल्दी अप्रैल और मई वायदा में दो फीसदी का अपर सर्किट लग गया। दोबारा कारोबार शुरू होने के थोड़ी देर बार ही दो फीसदी का लोअर सर्किट लग गया।
दरअसल, पिछले साल सबसे ज्यादा रिटर्न देने की वजह से इस बार हल्दी पर सटोरिये सबसे ज्यादा दांव लगा रहे हैं। वायदा कारोबार का असर हाजिर बाजार में भी देखने को मिल रहा है। हल्दी की सबसे बड़ी मंड़ी निजामाबाद (आंध्र प्रदेश) में सोमवार को हल्दी के दाम प्रति क्विंटल 544 रुपये उछलकर 11920 रुपये पर पहुंच गए, जबकि वायदा बाजार में हल्दी का भाव 11730 रुपये के आसपास रहा।
सटोरियों की सक्रियता को देखते हुए वायदा बाजार नियामक ने इसके कारोबार पर मार्जिन बढ़ा दिया। हल्दी वायदा में 13 फीसदी का मार्जिन देना होता है लेकिन कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए एफएमसी ने चार फरवरी को हल्दी वायदा में 10 फीसदी का अतिरिक्त मार्जिन लगा दिया।
एफएमसी का यह वार भी कारगर साबित नहीं हुआ तो 18 मार्च को एफएमसी ने दोबारा हल्दी वायदा में 10 फीसदी का और मार्जिन लगाने का फैसला किया। इस तरह इस समय हल्दी वायदा में कुल 33 फीसदी का मार्जिन लग चुका है। इसके बावजूद एक ही दिन में अपर और लोअर सर्किट लगने को कारोबारी चिंता का विषय मान रहे हैं।
हल्दी वायदा भाव इस समय 11730 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है जबकि 13 मार्च को हल्दी अप्रैल 8770 रुपये पर था। शेयरखान कमोडिटी हेड मेहुल अग्रवाल के अनुसार, पिछले साल हल्दी की पैदावार कम थी जिससे बाजार में हल्दी कीमतें आसमान पर पहुंच गई थी। पिछले साल नवंबर में हल्दी 12400 रुपये के स्तर तक पहुंच गई थी।
इस साल 12000 के स्तर को छूने के बाद हल्दी के भाव नीचे गिरेंगे। मेहुल कहते हैं कि पिछले साल करीब 40 लाख बैग हल्दी का उत्पादन हुआ था और इस बार 52 लाख बैग का उत्पादन होने की उम्मीद है। हल्दी वायदा कारोबार में एक लॉट 10 टन का होता है और इस समय 33 फीसदी का मार्जिन लगा हुआ है।
भारी मार्जिन मनी को देखते हुए सटोरिये भी रिस्क लेने के पहले सौ बार सोचेंगे, क्योंकि नई फसल बाजार में आने का समय भी हो चुका है। बाजार के जानकारों का कहना है कि पिछले बार जब हल्दी की कीमतें बढ़ी थी तो सबसे ज्यादा सट्टा सांगली के कारोबारियों ने लगाया था जबकि इस बार राजस्थान के सटोरिये सक्रिय हैं। (बीएस हिंदी)
23 मार्च 2010
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