कोच्चि March 16, 2010
काली मिर्च के उत्पादन में कमी के अनुमान से इस साल कीमतों में भारी बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।
काली मिर्च के प्रमुख उत्पादक राज्यों कर्नाटक और केरल से प्राप्त उत्पादन अनुमानों से इस साल देश का कुल काली मिर्च उत्पादन 37,000 टन रहने की संभावना है। यह औसत उत्पादन 50,000 टन की तुलना में 26 फीसदी कम है।
कर्नाटक में हाल ही में फसल की कटाई का काम शुरू हुआ है। यहां काली मिर्च का कुल उत्पादन पिछले सत्र के 25,000 टन की तुलना में 16,000-18,000 टन रहने की संभावना है। केरल में 70 फीसदी कटाई का काम हो चुका है।
सामान्य तौर पर यहां 20,000 टन उत्पादन होता है, लेकिन इस सत्र में इसके महज 10,000-12,000 टन रहने की उम्मीद है। तमिलनाडु में काली मिर्च का उत्पादन 5,000 टन रहने का अनुमान है। वहीं, देश के दूसरे इलाकों से 2,000 टन काली मिर्च हासिल होने वाली संभावना है। कुल मिलाकर इस साल काली मिर्च का राष्ट्रीय उत्पादन 37,000 टन रहेगा। लिहाजा कीमतों में भारी उछाल निश्चित है।
केरल के ज्यादातर काली मिर्च उत्पादक इलाकों में अभी से ही गर्मी बढ़ने और दिसंबर के अंतिम हफ्ते के बाद से बारिश नहीं होने की वजह से फसल का खासा नुकसान हुआ है। किसानों और कारोबारियों के पास स्टॉक भी काफी कम है। लिहाजा अप्रैल के बाद से बाजार में आपूर्ति की समस्या का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इडुक्की और वयनाड जिलों के प्रमुख व्यापारियों के मुताबिक मौजूदा स्टॉक काफी कम रहने की वजह से 1996-97 की तरह ही कीमतों में भारी उछाल की आशंका है। साल के दूसरे भाग में काली मिर्च की कीमतें 18,000-20,000 रुपये क्विंटल तक जा सकती हैं। फिलहाल कीमतें 12,600-13,100 रुपये क्विंटल के बीच हैं।
कीमतों में इस हद तक उछाल की वजह पिछले 4-5 सालों से उत्पादन में लगातार कमी है। भारी स्टॉक की मदद से बाजार को अभी तक आपूर्ति की ज्यादा समस्या नहीं झेलनी पड़ी है। अनियमित मौसम की मार और फसल की बीमारियों से इडुक्की और वयनाड में काली मिर्च के उत्पादन पर असर हुआ है। इस साल गर्म मौसम से काली मिर्च की बेलों को नुकसान हुआ है।
कर्नाटक में सकलेशपुर और कोणीकुप्पा के इलाकों को छोड़कर उत्पादन 40 फीसदी गिर गया है। किसानों के मुताबिक सकलेशपुर और कोणीकुप्पा में उत्पादन 10-25 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। पर, राज्य का कुल उत्पादन 18,000 टन से ज्यादा नहीं रहेगा।
इडुक्की जिले के उत्पादक बेन्नी मैथ्यू ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि कुमाली और राजाकुमारी के इलाकों को छोड़कर इडुक्की जिले में कटाई का काम पूरा हो चुका है और उत्पादन 50 फीसदी तक कम रहा है। काली मिर्च की लताओं को बीमारियों की वजह से भारी नुकसान हुआ है और कई किसानों ने इसकी जगह रबर और कोको के पेड़ लगा दिए हैं। जिले में काली मिर्च की दोबारा बुआई देखने को नहीं मिल रही है।
वयनाड के प्रमुख व्यापारी एम सी अब्दु ने कहा कि उत्पादन में भारी कमी की वजह से कीमतें 20,000 रुपये क्विंटल के आंकड़े को पार कर सकती हैं। काली मिर्च की किल्लत काफी गंभीर हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि पिछले साल 3,000 टन के कारोबार की तुलना में उन्होंने अब तक महज 150 टन काली मिर्च का कारोबार किया है। वियतनाम से काली मिर्च के आयात से कीमतों में कुछ राहत मिल सकती है। यहां हमेशा की तरह इस बार भी उत्पादन 1,10,000 टन रहने का अनुमान है। (बीएस हिंदी)
18 मार्च 2010
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