18 मार्च 2010
जनवितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार कैंसर के समान
नयी दिल्ली ! उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित न्यायमूर्ति डी पी बधवा समिति ने देश की जनवितरण प्रणाली .पीडीएस. में व्याप्त भ्रष्टाचार को ..कैंसर.. करार देते हुए सम्पूर्ण व्यवस्था बदलने की वकालत की है !न्यायमूर्ति बधवा समिति ने न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष आज पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीडीएस में भ्रष्टाचार और कालाबाजारी का बोलबाला है1 यह समस्या बहुत विकराल है और इसका निदान यथाशीघ्र किया जाना चाहिए !रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार गरीबों के लिए 28 हजार करोड रुपये देती है लेकिन सस्ते अनाज के नाम पर गरीबों को सडे हुए अनाज ही मिलते हैं1 रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों. उचित मूल्य के दुकानदारों. ट्रांसपोर्टरों और मिल मालिकों के बीच जारी गठजोड की वजह से पीडीएस व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है !उचित मूल्य के दुकान मालिक इलाके के पुलिस निरीक्षक और खाद्यान्न निरीक्षक को बतौर घूस एक हजार रुपये देते हैं ! गोदाम की देखभाल करने वाले प्रति बोरी 10 रुपये उगाही करते हैं1 ऐसा नहीं करने पर उन्हें सडे हुए अनाज उपलब्ध कराए जाते हैं1 एक बोरी में औसतन 52 किलोग्राम गेंहू होता है. लेकिन बोरियों से गेहूं निकाल लिया जाता है और दुकानों तक पहुचंते..पहुचते इसमें अधिक से अधिक 45 किलो गेहूं रह जाता है !समिति ने पीडीएस में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए जाने के लिए कई उपायों पर अमल किये जाने की सिफारिशें की हैं ! रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश भर में यह व्यवस्था चरमरा जाएगी !खंडपीठ ने मामले की सुनवाई सात अप्रैल तक स्थगित करते हुए केंद्र सरकार को समिति की रिपोर्ट पर अपना जवाब देने को कहा है ! खंडपीठ ने बेघरों को आश्रय और खाद्यान्न उपलब्ध कराने के न्यायालय के पूर्व के निर्देशों पर अमल नहीं करने वाले राज्यों को सुनवाई की अगली तारीख तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है (देश्भंदु)
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