मुंबई March 12, 2010
चीनी की कम होती कीमतों के बीच चीनी उद्योग को जिस राहत की जरूरत थी वह केंद्र सरकार ने दे दी है।
निर्धारित हफ्ते में आवंटित चीनी की पूरी मात्रा नहीं बिक पाने पर इसे लेवी चीनी में तब्दील किए जाने के लिए अतिरिक्त 7 दिनों का वक्त दिया गया है। 10 मार्च को जारी रोल ओवर ऑर्डर में फरवरी के अंतिम सप्ताह के लिए आवंटित गैर लेवी चीनी की बिक्री और आपूर्ति की समय सीमा को बढ़ाया गया है।
यह ऑर्डर 31 मार्च तक के स्टॉक के लिए है, लेकिन उद्योग इसे 30 अप्रैल तक बढ़ाए जाने की उम्मीद कर रहा है। इस ऑर्डर के मुताबिक गैर लेवी चीनी की बिक्री के लिए निर्धारित अवधि को हफ्ते के आधार पर बढ़ाया गया है। 7 मार्च, 15 मार्च और 31 मार्च को खत्म हो रहे हफ्तों के लिए बिक्री अवधि को एक हफ्ते के लिए बढ़ाकर क्रमश: 15 मार्च, 22 मार्च, 31 मार्च और 7 अप्रैल कर दिया गया है।
इससे चीनी की कीमतों में सुधार हुआ है। मिलों में चीनी का भाव 2-3 रुपये प्रति किलो तक सुधरा है। खुदरा बाजार में चीनी की कीमतें स्थिर हो रही हैं। महाराष्ट्र में मिलों के स्तर पर चीनी की कीमतें 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। उपभोक्ता स्तर पर चीनी की कीमतें 3,550 रुपये प्रति क्विंटल चल रही हैं।
औद्योगिक सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 3 फरवरी को लेवी मुक्त चीनी के लिए साप्ताहिक बिक्री कोटा लागू किए जाने से चीनी की कीमतें करीब 10 रुपये प्रति किलो तक घट गई हैं। मिल मालिकों और कारोबारियों के बीच चीनी के लेवी चीनी में बदले जाने के डर से कम मुनाफे पर भी चीनी की बिक्री हुई और इससे कीमतें नीचे आईं।
यहां तक कि महाराष्ट्र के कारोबारियों ने नए टेंडरों में शामिल होने से इंकार कर दिया था। इससे महाराष्ट्र में चीनी की बिक्री लगभग रुक गई थी। फेडरेशन ऑफ शुगर फैक्ट्रीज और महाराष्ट्र स्टेट शुगर मर्चेंट्स ऐंड ब्रोकर्स एसोसिएशन के बीच समझौता होने के बाद कारोबारी टेंडरों में शामिल होने को राजी हो गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक चीनी की बिक्री कम होने की वजह से कीमतें 2,700 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गई थीं। अगर यह आदेश जारी नहीं होता, तो निश्चित अवधि में बिक्री से बची हुई चीनी को लेवी चीनी में बदल दिया जाता जिसकी बिक्री सामान्य भाव से करीब एक तिहाई भाव पर होती है।
महाराष्ट्र स्टेट शुगर मर्चेंट्स ऐंड ब्रोकर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश पांडे ने केंद्र के इन निर्णय का स्वागत किया है। इससे मिलों के स्तर पर कीमतों के 3,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर होने में मदद मिली है। (बीएस हिंदी)
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