10 मार्च 2010
देश में कोल्ड स्टोर बनेंगे नए मानकों पर
देश में ऐसे कोल्ड स्टोर बनाने की योजना बनाई गई है जिससे फल व सब्जियों की बर्बादी और प्रभावी तरीके से रोकी जा सके। तीन श्रेणियों के कोल्ड स्टोरों में लघु अवधि से लेकर लंबे समय तक कृषि उत्पाद रखे जा सकेंगे। नए मानकों पर कोल्ड स्टोर बनाने की लागत बढ़ने के कारण सब्सिडी 25 फीसदी से बढ़कार 40 फीसदी करने का भी फैसला किया गया है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम) ने स्कीम को अमली जामा पहनाने के लिए सब्सिडी बढ़ाने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा है। स्कीम के तहत बनने वाले कोल्ड स्टोरों के लिए नए तकनीकी मानक भी बनाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) के वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि कोल्ड प्रोजेक्ट के लिए दी जाने वाले सब्सिडी को 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने की योजना है। इसके लिए प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है। उक्त अधिकारी का कहना है कि वित्त मंत्रालय और कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।सब्सिडी बढ़ाने के बार में अधिकारी का कहना है कि बेहतर कोल्ड स्टोरों की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए पिछले जनवरी में नए तकनीक मानक भी बनाए गए है। जिससे कोल्ड स्टोर बनाने की लागत काफी बढ़ जाएगी। ऐसे में सब्सिडी बढ़ाने की जरूरत है। बोर्ड के नए तकनीकी मानकों के अनुसार तीन श्रेणियों के कोल्ड स्टोर स्थापित होंगे। लंबी अवधि तक कृषि उत्पादों के लिए ऐसे कोल्ड स्टोर बनेंगे जिनमें एक साथ कई कृषि उत्पाद रखे जा सकेंगे। इनमें पूर्व शीतलन (प्रीकूलिंग) की आवश्यकता नहीं होगी। दूसरी श्रेणी में मध्यम अवधि के लिए रखा जा सकेगा, जिसमें पूर्व शीतलन (प्रीकूलिंग) की आवश्यकता होगी। तीसरी श्रेणी में ऐसे कोल्ड स्टोर बनेंगे जिनमें तापमान नियंत्रित करने की व्यवस्था होगी। तीसरी श्रेणी के कोल्ड स्टोर बनने से फल एवं सब्जियों को 10 माह तक तरोताजा रखा जा सके गा। अभी ऐसे कोल्ड स्टोरों की काफी कमी है। अभी फल व सब्जियों को ज्यादा से ज्यादा पांच सें छह माह रखा जा सकता है। बोर्ड कोल्ड स्टोर स्थापित करने, आधुनिकीकरण, क्षमता विस्तार के लिए सब्सिडी देता है। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य कटाई बाद बागवानी फसलों का नुकसान रोकने के लिए कोल्ड स्टोर स्थापित करने को प्रोत्साहित करना है। इस स्कीम का लाभ गैर सरकारी संगठन यानि एनजीओ, उत्पादक संगठन, पार्टनरशिप फर्म, कंपनियां ले सकती हैं। Business भास्कर)
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