11 मार्च 2010
बासमती निर्यात वृद्धि के साथ घरेलू दाम भी सुधर
चालू वित्त वर्ष के पहले ग्यारह महीनों में ही भारत से बासमती चावल के निर्यात सौदे पिछले पूर वर्ष से ज्यादा हो गए हैं। समान अवधि के मुकाबले 21.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से फरवरी के दौरान 28 लाख टन बासमती चावल के निर्यात सौदे पंजीकृत हो चुके हैं जबकि पिछले साल (अप्रैल से मार्च तक) कुल 23 लाख टन के निर्यात सौदे पंजीकृत हुए थे। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टसर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में ईरान, सऊदी अरब और कुवैत की मांग अच्छी निकलने से फरवरी तक भारत से बासमती चावल के 28 लाख टन के निर्यात सौदे पंजीकृत हो चुके हैं। जबकि पिछले पूर साल कुल निर्यात सौदे 23 लाख टन के ही पंजीकृत हुए थे। हालांकि पिछले साल हुए कुल निर्यात सौदों में से निर्यात 18 लाख टन का ही हुआ था लेकिन चालू वित्त वर्ष में निर्यात बढ़कर 23 से 25 लाख टन तक हो सकता है। उन्होंने बताया कि मार्च से जुलाई तक बासमती चावल निर्यात का सुस्त सीजन रहता है। इसलिए इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार से मांग कम आ रही है। लेकिन अगस्त के बाद आयात सौदों में बढ़ोतरी आने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पारंपरिक बासमती चावल 1400-1500 डॉलर, पूसा-1121 बासमती 1300 से 1450 डॉलर और पूसा नं0-1 बासमती 900-1000 डॉलर प्रति टन बिक रहा है। घरलू बाजार में पूसा-1121 बासमती चावल की कीमतों में पिछले दो-तीन दिनों में करीब 150-200 रुपये की तेजी आकर भाव 4200-4300 रुपये प्रति `िंटल हो गए। खुरानियां एग्रो के मैनेजिंग डायरक्टर रामविलास खुरानिया ने बताया कि पूसा-1121 धान की कीमतों में पिछले एक सप्ताह में करीब 100 रुपये की तेजी आकर भाव 2300-2350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। अगस्त में निर्यातकों की मांग निकलने से इसकी कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद है। तब तक बासमती के मूल्य में सीमित हलचल की ही संभावना की जा सकती है। (बिज़नस भास्कर)
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