11 मार्च 2010
डयूटी फ्री दाल आयात की अनुमति एक साल और
सरकार जल्दी ही दालों के डयूटी फ्री आयात की अनुमति और घरलू दालों के निर्यात पर प्रतिबंध की अवधि एक साल और बढ़ा सकती है। घरलू बाजार में दालों की घरलू बाजार में सुलभता बढ़ाने के लिए सरकार ने अगले साल 31 मार्च तक यह व्यवस्था जारी रखने का आदेश दे सकती है। अभी दोनों आदेश चालू माह के अंत तक प्रभावी हैं।उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डयूटी फ्री दाल आयात की अनुमति और निर्यात पर प्रतिबंध एक साल और लागू रह सकता है ताकि देश में दालों के दाम नियंत्रित रखे जा सकें। अगर सरकार यह कदम नहीं उठाती है तो अगले 31 मार्च को दोनों आदेश निष्प्रभावी हो सकते हैं। चार साल पहले 2006 में दालों के घरेलू बाजार में दाम बढ़ने पर सरकार ने 10 फीसदी आयात शुल्क हटा दिया था और घरलू दालों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद से हर साल ये आदेश एक-एक साल के लिए लागू होते रहे। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि काबुली चने को छोड़कर बाकी सभी दालों के निर्यात पर रोक आगे बढ़ेगी। अधिकारी के अनुसार चार लाख टन रियायती दरों पर राशन की दुकानों के जरिये उपभोक्ताओं को सुलभ कराने की व्यवस्था की अगले साल तक लागू रखी जा सकती है।सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की ट्रेडिंग कंपनियों एमएमटीसी, एसटीसी, पीईसी, नेफेड और एनसीसीएफ को 15 फीसदी घाटे की भरपाई के लिए दावे अगले साल भी कर सकेंगी। ये एजेंसियां सरकार के निर्देश पर दालें आयात खरीदकर सस्ती दरों पर घरलू मूल्य पर घरलू बाजार में बेचती हैं। इससे होने वाले घाटे की भरपाई के लिए सरकार उनके दावे स्वीकार करती है। अधिकारी ने बताया कि दालों से संबंधित सभी मामलों पर अधिकार प्राप्त मंत्री समूह की बैठक में अगले सप्ताह चर्चा हो सकती है। इस समय भी अरहर और अन्य प्रमुख दालों के दाम देश के ज्यादातर क्षेत्रों में 75 रुपये प्रति किलो के ऊपर चल रहे हैं क्योंकि अभी भी मांग के मुकाबले सप्लाई हल्की है। (बिज़नस भास्कर)
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