मुंबई March 10, 2010
कमाल है! कुछ वक्त पहले तक किसानों को मुफलिसी में आत्महत्या करनी पड़ रही थी और अब हरेक राज्य की सरकारें अचानक ही उनकी हिमायती हो गई हैं।
किसानों को सस्ते से सस्ता कर्ज देने के लिए तमाम राज्यों में होड़ लग गई है। कुछ राज्य तो बिना ब्याज कर्ज लुटाने को तैयार हैं। इसी कड़ी में तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने किसानों को ब्याज मुक्त सहकारी फसल कर्ज मुहैया कराने का फैसला लिया है।
यह रियायत उन किसानों को दी जाएगी जो समय पर कर्ज वापसी कर रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने भी इसी साल अप्रैल से किसानों के लिए एक नई योजना शुरू की है जिसके तहत 25,000 रुपये तक के ऋण पर उनसे कोई ब्याज नहीं वसूला जाएगा। यह योजना भी उन्हीं किसानों के लिए होगी जो समय से ऋण चुकता करते हैं।
उड़ीसा सरकार पहले से ही किसानों को 3 फीसदी की ब्याज दर पर कर्ज मुहैया करा रही है। वहीं भाजपा शासित कर्नाटक में भी छोटे और सीमांत किसानों को सहकारी संस्थान 3 फीसदी ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध करा रहे हैं।
इन राज्यों ने रियायती दर पर ऋण मुहैया कराने के लिए 200 से 1,500 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान रखा है। इस तरह समय से कर्ज लौटाने वाले किसानों को बाजार से 2 फीसदी कम की दर पर ऋण मुहैया कराया जा रहा है।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 5 फीसदी से भी कम ब्याज दर पर किसानों को ऋण मुहैया कराने का फैसला राज्यों का खुद का है। उन्होंने बताया कि राज्य किसानों को समय पर ऋण वापसी के लिए बढ़ावा देना चाहते हैं और इसी को ध्यान में रख कर ये योजनाएं शुरू की गई हैं।
राज्यों को उम्मीद है कि अधिक से अधिक किसान इन योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे। नाबार्ड के अधिकारियों ने बताया कि सस्ते ब्याज दरों पर ऋण मुहैया कराने से सहकारी बैंकों को जो नुकसान होगा उसकी भरपाई के लिए तमिलनाडु सरकार ने ब्याज मद में 140 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
महाराष्ट्र के सहकारी मंत्री हर्षवर्द्धन पाटिल ने बताया कि 25,000 रुपये तक के ऋण पर कोई ब्याज नहीं लगेगा जबकि 3 लाख रुपये के ऋण पर 2 फीसदी ब्याज वसूला जाएगा। यह योजना 1 अप्रैल से लागू होगी।
खेतों में पड़ेगी अब कर्ज़ की इतनी खाद
राज्य ब्याज़ दर (%)तमिलनाडु 0उड़ीसा 3कर्नाटक 3महाराष्ट्र 0-2
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस बजट में 5 फीसदी ब्याज़ दर पर किसानों को ऋण मुहैया कराने की घोषणा की थी, लेकिन तमाम राज्य इससे भी एक कदम आगे बढ़ गए और उन्होंने महा तीन फीसदी की ब्याज़ दर पर कर्ज़ बांटना शुरू कर दिया है। (बीएस हिंदी)
10 मार्च 2010
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