24 नवंबर 2009
जीरे का बुवाई रकबा घटने के अनुमान से भाव में तेजी
अक्टूबर से शुरू हुए नए सीजन में देशभर में जीर का बुवाई क्षेत्र 25 फीसदी गिरने का अनुमान है। उत्पादक राज्यों में सूखे की स्थिति के कारण जीर की खेती प्रभावित हो रही है। कारोबारियों और विश्लेषकों का अनुमान है कि इस साल जीर का बुवाई रकबा 4.75 लाख टन रहने की संभावना है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा जीरा उत्पादक और निर्यातक देश है। जीरा कारोबार के प्रमुख केंद्र ऊंझा के बड़े कारोबारी अरविंद पटेल ने बताया कि अक्टूबर में बारिश तीन-चार सप्ताह की देरी से होने के कारण जीर का बुवाई एरिया गिरने का अनुमान है। गुजरात और राजस्थान में देश का 90 फीसदी जीरा पैदा किया जाता है। आमतौर पर जीर की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और फसल फरवरी से अप्रैल के बीच कटाई के लिए तैयार हो जाती है। ऊंझा कमोडिटी फ्यूचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीन पटेल ने बताया कि इस समय भी मौसम जीर की खेती के अनुकूल नहीं है। ऐसे में जीरा का उत्पादन 24 लाख बोरी (प्रति बोरी 60 किलो) रहने की संभावना है। पिछले साल 28 लाख बोरी जीर का उत्पादन हुआ था। अगर मौसम में सुधार हो गया तो उत्पादन थोड़ा बढ़ सकता है।उत्पादन गिरने के अनुमान से जीर के हाजिर भाव तेजी से बढ़ रहे हैं। अक्टूबर से अब तक भाव करीब 18 फीसदी बढ़कर 13,495 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। एनसीडीईएक्स में भी जीरा वायदा करीब तीन फीसदी बढ़कर 15,425 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। कर्वी कॉमट्रेड की विश्लेषक कुमारी अमृता का अनुमान है कि फरवरी तक जीर के हाजिर भाव 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक चढ़ सकते हैं। कारोबारियों का अनुमान है कि इस समय देश में करीब आठ लाख बोरी जीर का स्टॉक बचा है जबकि पिछले साल इन दिनों 12 लाख बोरी का स्टॉक बचा था। (बिज़नस भास्कर)
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