नई दिल्ली : लाख कोशिशों के बावजूद सरकार खाद्य पदार्थों की महंगाई पर काबू नहीं पा सकी है। ऐसे में प्रमुख कमोडिटी के वायदा कारोबार पर लगी रोक आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। संसद की प्राक्कलन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक चावल, गेहूं, अरहर दाल, उड़द दाल और चीनी के वायदा कारोबार पर से तब तक रोक नहीं हटनी चाहिए जब तक कि देश में इनकी सप्लाई दुरुस्त न हो जाए। प्राक्कलन समिति जल्द ही अपनी यह रिपोर्ट संसद में पेश करने वाली है। जमाखोरी और कृत्रिम तरीके से मूल्यवृद्धि पर रोक लगाने की नीयत से यह समिति सरकार से इस बात की भी सिफारिश करेगी कि वह खाद्य पदार्थों के लिए लाइसेंस की जरूरत खत्म करने की अधिसूचनाएं वापस ले।
इसके अलावा समिति भंडारण की सीमा और खाद्य पदार्थों को एक से दूसरी जगह लेने जाने में आने वाली कानूनी अड़चनें खत्म करने की भी सलाह देगी। खाद्य पदार्थों की कमी से निपटने के लिए अनाज के स्टॉक और बिक्री की सीमा तय करने के लिए सरकार आदेश देती है और राज्य सरकारें अपनी समझ के मुताबिक इन आदेशों को लागू कर सकती है। केंद्र सरकार अगर आवश्यक वस्तु कानून के तहत आवश्यक कमोडिटी में होने वाले वायदा कारोबार पर स्थायी रोक लगाने का फैसला करती है तो ऐसे में केंद्र के इस फैसले से राज्यों के साथ उसके संबंधों में तनाव आ सकता है। फिलहाल चावल, उड़द और अरहर दाल के वायदा कारोबार पर रोक है। इस साल मई में गेहूं के वायदा कारोबार पर से रोक हटा ली गई थी। अभिजीत सेन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, किसी कमोडिटी के वायदा कारोबार और हाजिर बाजार में उसकी कीमतों के उतार-चढ़ाव में किसी तरह का संबंध होना मुमकिन नहीं था। समिति का मानना था कि देश में खद्यान्न की कमी हो देखते हुए वायदा कारोबार पर रोक लगाना समझदारी होगा। कुछ लोग आवश्यक वस्तु कानून को पूरी तरह लागू करने की मांग कर रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो 2002 और 2003 में जारी दोनों अधिसूचनाएं पूरी तरह खत्म हो जाएंगी। इन अधिसूचनाओं के मुताबिक डीलरों को किसी भी मात्रा में चावल, गेहूं, चीनी, खाद्य तेल, दाल, तिलहन, मैदा, सूजी, आटा वनस्पति आदि खरीदने की आजादी है। डीलर इन खाद्य पदार्थों को जमा कर सकते हैं, कहीं लेकर आ-जा सकते हैं और किसी भी मात्रा तक बेच सकते हैं। हालांकि, आवश्यक वस्तु कानून लागू होने पर यह मुमकिन नहीं होगा। सरकार ने कैबिनेट के फैसलों के जरिए फिलहाल चीनी, दालों, खाद्य तेलों, तिलहन और चावल पर यह आदेश लागू नहीं किया है। वहीं, समिति की राय कुछ अलग है। समिति ने इसकी जगह इन अधिसूचनाओं के असर की विस्तृत समीक्षा करने की सलाह दी है। इस समीक्षा के आधार पर ही सरकार को प्रमुख कमोडिटी के वायदा कारोबार पर स्थायी रोक लगाने का फैसला करना चाहिए। (ई टी हिन्दी)
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