मुंबई November 27, 2009
जिंसों की वैश्विक कीमतों में शुक्रवार को तेज गिरावट दर्ज की गई। दुबई में आए ऋण संकट के बाद वैश्विक स्तर पर निवेशकों और हेज फंडों ने लॉन्ग पोजिशन बेच दी।
ज्यादातर जिंसों की कीमतों में आज 3-5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि दोपहर बाद डॉलर में मजबूती आने से कीमतों में कुछ सुधार आया। जिंसों के एस ऐंड पी जीएससीआई सूचकांक में 4.2 प्रतिशत की तेज गिरावट दर्ज की गई है, जो 29 जुलाई के बाद की सबसे तेज गिरावट है।
हालांकि बाद में लंदन में कारोबार में सुधार आने के बाद से स्थिति में सुधार आया और सूचकांक 3.15 प्रतिशत गिरा। सोने और कच्चे तेल को निवेश के लिए बेहतर माना जाता है, लेकिन इसमें भी गिरावट दर्ज की घई। कुछ कारोबारियों के मुताबिक इसमें भी उम्मीद धूमिल दिखी।
सरकार की निवेश कंपनी दुबई वर्ल्ड के उपर 59 बिलियन डॉलर की देनदारी है। इसके भुगतान में देरी होने से यह संदेह हुआ कि आने वाले दिनों में भी डिफाल्ट आएगा। इससे वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में सुधार पर पानी फिरने की उम्मीद बढ़ गई और इस भय का प्रभाव दुनिया के बाजारों पर पड़ा। एक समय तो ऐसा भी आया कि कच्चे तेल की कीमतें 73 डॉलर के नीचे आ गईं।
साथ ही सोने का कारोबार भी 1140 डॉलर प्रति औंस के नीचे हुआ। हालांकि दिन ढलते-ढलते कच्चे तेल में सुधार हुआ और वह 75 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। साथ ही सोना भी चढ़कर 1160 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया। मुंबई में सोना 275 रुपये गिरकर 17,615 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ।
जानकारों का कहना है कि आज की गिरावट के पीछे प्रमुख वजह यह भी रही कि अमेरिकी मुद्रा डॉलर सूचकांक 1 प्रतिशत ऊपर गया। बाद में इसमें कुछ सुधार हुआ और इसका कारोबार 0.63 प्रतिशत चढ़कर 75.30 पर पहुंच गया। अमेरिका में ब्याज दरें शून्य के करीब हैं। इस लिहाज से डॉलर उधार लेकर अन्य संपत्ति खरीदना फायदेमंद है, क्योंकि पिछले साल की गिरावट के बाद जिंस और इक्विटी सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं।
जोखिम सलाहकार फर्म कमट्रेंड्ज के निदेशक टी ज्ञानशंकर ने कहा, 'दुबई में ऋण संकट की वजह से निवेशकों को मुनाफावसूली का मौका मिला' कुछ जिंसों में मुनाफावसूली बहुत ज्यादा रही। खासकर उन संस्थागत निवेशकों ने मुनाफा कमाया, जो लीमन ब्रदर्स के धराशायी होने के संकट के पहले मुनाफावसूली करने में सफल नहीं हुए थे।
ज्ञानशंकर का मानना है कि अन्य संपत्तियों में मुनाफावसूली और डॉलर की खरीद कुछ और समय तक जारी रह सकती है। कुछ धातुओं ने 2009 में 100 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दिया है। रेलीगेयर कमोडिटीज के अध्यक्ष जयंत मांगलिक ने कहा, 'दुबई में हुए घटनाक्रम के बाद पैसे को सुरक्षित निवेश में लगाने को बल मिला और ऐसे में दो ही विकल्प थे- एक सोना खरीदने का और दूसरा डॉलर खरीदने का।'
आज धन का प्रवाह डॉलर की ओर हुआ, लेकिन मांगलिक का मानना है कि अगले दो कारोबारी दिनों के दौरा यह स्पष्ट हो पाएगा कि यह संकट दुबई तक ही सिमटा रहेगा, या इसका और ज्यादा प्रसार होगा। अगर यह संकट और बढ़ता है तो निवेशक एक बार फिर स्थिति का आकलन करेंगे और यह फैसला करेंगे कि सुरक्षित ठिकाना क्या है। उनका मानना है कि ऐसी स्थिति में सोना एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में उभर सकता है।
तांबे और एल्युमीनियम की कीमतों में करीब 3 प्रतिशत की गिरावट आई और यह दो सप्ताह के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए। लंदन मेटल एक्सचेंज में 3 माह वाले तांबे का सौदा 6683 डॉलर पर हुआ, जबकि गुरुवार को यह 6904 डॉलर पर बंद हुआ था। एल्युमीनियम 2009 डॉलर से गिरकर 1979 डॉलर पर पहुंच गया। सुबह के कारोबार में तो यह 1950 डॉलर पर पहुंच गया था।
निकल की कीमतों में भी 5 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 16,775 डॉलर से गिरकर 15,751 डॉलर पर पहुंच गया। सीसे और जस्ते में भी गिरावट आई और ये शुक्रवार को क्रमश: 8 और 5 प्रतिशत गिरे। लंदन मेटल एक्सचेंज में सीसा गुरुवार के 2344 डॉलर प्रति टन की तुलना में शुक्रवार को 2145 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। जस्ते के दाम 2130 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गए।
सोयाबीन, मक्के और गेहूं की कीमतों में भी गिरावट आई है। जनवरी डिलिवरी वाला सोयाबीन 3.2 प्रतिशत गिरककर 10.21 डॉलर प्रति बुशेल पर पहुंच गया। मक्के की मार्च डिलिवरी में 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 3.95 डॉलर प्रति बुशेल से गिरकर 3 डॉलर प्रति बुशेल पर पहुंच गया। इसके सौदों में इस सप्ताह 2.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी, जो 4 सप्ताह में पहली गिरावट थी।
शिकागो में मार्च डिलिवरी की गेहूं की कीमतें 3.4 प्रतिशत गिरीं। इस सप्ताह के दौरान अनाज की कीमतों में 4.9 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो चार सप्ताह में पहली बार गिरा है। भारत के बाजार में भी वैश्विक संकेतों से ज्यादातर जिंसों में गिरावट दर्ज की गई है। एमसीएक्स में तांबे की वायदा कीमतों में 0.30 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हुई।
फरवरी माह का तांबे का अनुबंध 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 320.50 रुपये प्रति किलो पर आ गया। सीसे की वायदा कीमतों में 1.41 प्रतिशत तक की कमी आई। निकल का जनवरी माह का अनुबंध 2.74 प्रतिशत की गिरावट के साथ 766 रुपये प्रति किलो पर आ गया।
जस्ते का जनवरी माह का अनुबंध 1।47 फीसदी की गिरावट के साथ 103.85 रुपये प्रति किलो रह गया। इस धातु के नवंबर माह के अनुबंध में 1.25 फीसदी की गिरावट आई और यह 102.95 रुपये प्रति किलो पर आ गया। जस्ते के दिसंबर माह के अनुबंध में 1.19 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 103.60 रुपये प्रति किलो पर आ गया। (बीएस हिन्दी)
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