मुंबई : देश में कमोडिटी के हाजिर बाजार में खिलाड़ियों को जल्दी ही कीमतों से जुड़े जोखिम और स्थानीय कमोडिटी एक्सचेंजों पर उतार-चढ़ाव से खुद का बचाव करने के लिए एक और विकल्प हासिल हो जाएगा। कमोडिटी वायदा बाजार नियामक फारवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) ने एमसीएक्स और एनसीडीईएक्स की ओर से कारोबार के नए तौर-तरीकों पर पिछले महीने मुहर लगा दी। इस समय एफएमसी तीन राष्ट्रीय और 19 क्षेत्रीय कमोडिटी एक्सचेंजों के कायदे-कानून तय करता है। कारोबार के जिन नए तरीकों को मंजूरी दी गई, उन्हें आल्टरनेट फ्यूचर्स सेटलमेंट (एएफएस) और एक्सचेंज ऑफ फ्यूचर्स फॉर फिजिकल्स (ईएफपी) कहा जाता है। ये सीबीओटी, नायमेक्स और लिफ्फी जैसे विदेशी कमोडिटी एक्सचेंजों पर पहले से चालू हैं और अब जल्दी ही एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर इनकी शुरुआत की जाएगी।
स्थानीय एक्सचेंजों में इन तरीकों के जरिए कृषि और गैर-कृषि कमोडिटी में वैध वाणिज्यिक हित रखने वाले पक्ष भौतिक बाजार में अपने सौदों को फ्यूचर एक्सचेंजों पर स्थानांतरित कर सकेंगे। कारोबार के इन तरीकों में इन्हें इसका उलट भी करने की सहूलियत होगी। बहरहाल, दोनों मामलों में (फिजिकल से फ्यूचर और फ्यूचर से फिजिकल में स्थानांतरण) एक्सचेंज माल की सप्लाई की गारंटी नहीं लेंगे और सौदे के निपटान तथा डिलीवरी का जिम्मा काउंटरपार्टीज पर होगा। जहां एक्सचेंजों को हेजिंग की उचित जरूरत वाले कारोबारियों की बढ़ी सहभागिता और एक्सचेंज की प्रणाली से बाहर होने वाली आपूतिर् से फायदा होगा, वहीं कारोबारी पक्षों को यह लाभ होगा कि एक्सचेंज काउंटरपार्टी डिफॉल्ट के जोखिम से उनका बचाव करेंगे। एफएमसी के चेयरमैन बी सी खटुआ ने कहा, 'कारोबार के इन नए तरीकों से हेजिंग करने वालों को फ्यूचर मार्केट के बेहतर इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहन मिलेगा जिससे हेजिंग करने वालों और सट्टेबाजों के बीच बेहतर संतुलन कायम होगा। इसके साथ वाजिब कीमत तक पहुंचने में मदद मिलेगी और वायदा तथा हाजिर बाजार की कीमतों में अंतर और घटेगा।' संपर्क किए जाने पर एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि उन्हें इन कारोबारी तरीकों के लिए एफएमसी की मंजूरी मिल चुकी है और इन्हें लागू करने की शर्तें तय की जा रही हैं। एनसीडीईएक्स को एएफएस शुरू करने की मंजूरी मिली है, जिसमें खरीदार और विकेता अपने ओटीसी एग्रीमेंट फ्यूचर्स मार्केट में स्थानांतरित करने पर राजी होते हैं। एमसीएक्स को ईएफपी कारोबार की अनुमति मिली है। इसमें खरीदार और विक्रेता समान मात्रा के भौतिक सौदे से फ्यूचर्स सौदे की अदला-बदली करेंगे। ईएफपी की इजाजत गोल्ड, गोल्ड मिनी, सिल्वर, सिल्वर मिनी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एल्युमीनियम, चना, मेंथा ऑयल और गेहूं में मिली है। एएफएस की मंजूरी सोयाबीन, स्टील, गौरसीड, सरसों, अरंडी और कपास में मिली है। (ई टी हिन्दी)
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