भारत सरकार की नई गन्ना मूल्य नीति के विरोध में गुरुवार को हजारों किसानों ने राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन किया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के साथ इस मुद्दे पर आपात बैठक की है.
सबसे अधिक गन्ना उपजाने वाले राज्य उत्तर प्रदेश के लगभग 5,000 किसानों ने गुरुवार को गन्ना की सरकारी क़ीमते बढ़ाये जाने की मांग के साथ प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए जनता दल यू के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि सरकार जब तक गन्ना के नए मूल्य से संबंधित अध्यादेश वापस नहीं लेती है तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और संसद को नहीं चलने दिया जाएगा.
केंद्र सरकार ने गन्ना मूल्य पर हाल में एक अध्यादेश जारी किया है जिसमें गन्ने की क़ीमत 129.85 रुपए प्रति क्विंटल तय की गई है. यदि राज्य सरकारें इस क़ीमत से अधिक दर तय करती है तो उसे दोनों का अंतर अपने कोष से भरना होगा. किसान नेता 280 से 400 रुपए प्रति क्विंटल क़ीमत मांग रहे हैं.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किसानों की रैली पर विपक्षी रवैये के बाद वरिष्ठ कैबिनेट सदस्यों के साथ आपात बैठक की. संसद भवन में हुई बैठक में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, कानून मंत्री वीरप्पा मोइली, कृषि मंत्री शरद पवार और गृह मंत्री पी चिदंबरम शामिल हुए. इस बैठक में तय फ़ैसलों को गुरुवार की कैबिनेट बैठक में पास कराया जाएगा.
इससे पहले हाथों में गन्ना लिए और नारे लगाते हुए हजारों की संख्या में किसान रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए और वहां से प्रदर्शन करते हुए संसद भवन के निकट स्थित जंतर-मंतर पहुंचे. रैली का आयोजन राष्ट्रीय लोक दल, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के कार्यकर्ता भी शामिल हुए. रैली में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी नेता बासुदेव आचार्य, राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष अजित सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा व गुरुदास दास गुप्ता और समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह भी मौजूद थे.
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा में गुरुवार को विपक्ष ने गन्ने के मूल्य को लेकर भारी हंगामा किया. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा की, समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और आरएलडी प्रमुख अजित सिंह की अगुवाई में पार्टी सांसद आसन के समक्ष जाकर गन्ने के मूल्य के सवालों को लेकर नारेबाजी करने लगे. मामला शांत न होता देखकर सदन की बैठक शुक्रवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई. उधर, दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के बाद राज्यसभा भी शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई.
सरकार ने राज्य सरकारों को गन्ने की क़ीमत तय करने के लिए अधिक स्वायत्तता दी है ताकि अत्यंत नियमित बाज़ार की बाधाओं को दूर किया जा सके. लेकिन बहुत से किसान राज्य स्तर पर तय क़ीमतों से नाख़ुश हैं. उनका कहना है कि उसका लाभ सिर्फ़ चीनी मिलों को मिल रहा है.
मई हुए चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली साझा सरकार की भारी जीत के बाद उससे सुधारों की उम्मीद बनी थी, लेकिन नई सरकार आर्थिक सुधारों पर धीमी रही है और अभी भी अपने देहाती आधार का ख्याल रख रही है। गुरुवार की किसान रैली से साफ़ है कि उसे तेज़ परिवर्तनों पर राजनीतिक विरोध का सामना करना होगा. (ख़बर)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें