गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के लिए गन्ना किसानों ने भी पूरी तैयारी कर ली है। राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के नेतृत्व में करीब एक लाख किसान संसद का घेराव करेंगे। दूसरी ओर संसद के भीतर भी विपक्ष ने गन्ने की कीमत पर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। लगभग पूरा विपक्ष और यूपीए के कई घटक गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का मुद्दा पूरे जोर-शोर से संसद में उठाने की तैयारी में हैं। आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह का कहना है कि एक लाख गन्ना किसान संसद का घेराव करेंगे और संसद नहीं चलने देंगे।
भाजपा की कोर कमेटी की बैठक के बाद लोकसभा में विपक्ष की उपनेता सुषमा स्वराज ने कहा कि सत्र के पहले दिन पार्टी गन्ना कीमतों पर स्थगन प्रस्ताव लाएगी। वामदलों ने भी गन्ना किसान के आंदोलन में शामिल होने की बात कही है। माकपा नेता सीताराम येचुरी और भाकपा नेता डी. राजा का कहना है कि केंद्र सरकार ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर एकतरफा फैसला नहीं ले सकती है। आरजेडी के लालू प्रसाद यादव, तेलुगू देशम के चंद्रबाबू नायडू और बीजू जनता दल नवीन पटनायक ने भी तय किया है कि एफआरपी के अध्यादेश को रोका जाएगा।
एफआरपी पर कशमकशकेंद्र ने गन्ना (नियंत्रण) संशोधन आर्डर 2009 के जरिए एफआरपी तय किया है। इससे पहले केंद्र वैधानिक न्यूनतम मूल्य (एसएमपी) तय करता था, जो मुख्यत: पीडीएस के तहत दी जाने वाली लेवी चीनी के मूल्य निर्धारण के लिए होता था। लेवी चीनी की कीमतों के मद्देनजर एसएमपी काफी होता था। किसानों को नुकसान न हो, इसके लिए सरकारें राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करती हैं। यह उपज की वास्तविक लागत पर होता है। अब एफआरपी के तहत सरकार ने पूरे देश के लिए गन्ने का दाम 129।85 रुपये क्विंटल तय किया है। एफआरपी से अधिक कीमत तय करने पर अंतर राज्य सरकारों को देना होगा। उत्तरप्रदेश के किसान 280 रुपये प्रति क्विंटल की मांग पर अड़े हुए हैं। (बिज़नस भास्कर)
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