नई दिल्ली : एक तरफ हमारा देश मोटापे की महामारी की गिरफ्त में फंसता जा रहा है और दूसरी ओर ब्रेकफास्ट की टेबल पर भारतीय बटुए की चर्बी गल रही है। दूध और मक्खन एक साल पहले की तुलना में 10-12 फीसदी महंगे हो चुके हैं, ब्रेड के दाम 13 फीसदी उछले हैं और एक अंडा चार रुपए में बिक रहा है। अंडा-टोस्ट का नियमित नाश्ता छोड़कर कम फैट और लो शुगर म्यूसली की बात करें, तो खुद आपका टोस्ट बन जाएगा। साल भर में व्हीट फ्लैक के दाम 30 फीसदी बढ़ चुके हैं। कुल मिलाकर नाश्ता हमारी जेब का बैंड बजाने में लगा है। देश भर के परिवारों ने गुरुवार को एक बार फिर बुरी खबर का सामना किया। सरकारी आंकड़ों ने खुलासा किया कि रसोई के अहम उत्पादों के दामों में आया उबाल अब भी जारी है।
14 नवंबर को खत्म सप्ताह के लिए फूड आर्टिकल इंडेक्स सालाना आधार पर 15।6 फीसदी बढ़ा, जो इससे पिछले हफ्ते 14.6 फीसदी पर था। इस उछाल की अगुवाई उड़द और चिकन कर रहे हैं, जो इस दौरान 15 फीसदी महंगे हुए हैं। इसके अलावा अंडे 8 फीसदी, मूंग 6 फीसदी, अरहर 5 फीसदी, फल एवं सब्जियां 3 फीसदी महंगे हुए हैं, जबकि दूध और गेहूं की कीमत 1 फीसदी बढ़ी है। जो लोग अपने नाश्ते के साथ एक ग्लास दूध चाहते हैं, उन्हें गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रमुख आर एस सोढ़ी सतर्क कर रहे हैं। उनका कहना है कि गर्मियों के मौसम में दूध के दाम 5 फीसदी और बढ़ सकते हैं, क्योंकि पशु चारे के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और साथ ही शीरा पर मौजूदा एक्साइज ड्यूटी और वैट काफी ज्यादा है, जो चारे का महत्वपूर्ण अंश है। अंडे महंगे होने की वजह भी मुर्गियों का खाना है। उन्हें प्रोटीन और स्टार्च दिया जाता है, जो मुख्य रूप से कॉर्न और सोयामील से मिलता है, जिनके दाम सूखे जैसे हालात की वजह से 30 फीसदी बढ़ चुके हैं। साल 1972 के बाद से अब तक के सबसे कमजोर मॉनसून और उसके बाद देश के कई हिस्सों में बाढ़ आने से कृषि उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। नेशनल एग कॉर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) के एम बी देसाई ने कहा कि एक अंडे की लागत किसान को अब 2-2.5 रुपए पड़ती है, जिसे वह 2.90 रुपए में बेचता है। होलसेलर ने उसके दाम 3 रुपए रखे हैं, जबकि किराना से ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते वह 4 रुपए का हो जाता है। हालात बिगड़ते जा रहे हैं क्योंकि सर्दियों की दस्तक के साथ मांग में भी इजाफा जारी है। भारत फिलहाल हर रोज 15-17 करोड़ अंडों का उत्पादन कर रहा है, जबकि मांग 19 करोड़ अंडे प्रतिदिन है। देसाई ने कहा, 'बीते दो साल के दौरान पोल्ट्री सेक्टर में कोई क्षमता विस्तार नहीं हुआ है, क्योंकि किसानों को आकर्षक कीमतें नहीं मिल रहीं।' (ई टी हिन्दी)
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