19 नवंबर 2009
दक्षिण भारत की मिलें एक लाख टन गेहूं आयात की तैयारी में
दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें जनवरी तक ऑस्ट्रेलिया से करीब एक लाख टन गेहूं आयात कर सकती हैं। कारोबारियों का कहना है कि मिलें वैश्विक बाजार में गेहूं सस्ता होने का फायदा उठाना चाहती हैं। दिल्ली के एक कारोबारी ने कहा कि केंद्र द्वारा सप्लाई किए जा रहे गेहूं के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं न केवल सस्ता है बल्कि उसकी क्वालिटी भी अच्छी है। उद्योग जगत से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया का प्राइम गेहूं कर्नाटक में 1,550 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर मिल सकता है जबकि इसी गुणवत्ता का घरेलू गेहूं 1,700 से 1,900 रुपये प्रति क्विंटल में उपलब्ध है। उनके मुताबिक गेहूं से लदे हुए 2,000 से 3,000 कंटेनर अगले दो महीनों में भारत पहुंचने की संभावना है। हालांकि उत्तर भारत के कुछ कारोबारियों को आयातित गेहूं फायदेमंद होने पर संदेह है। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन कीसंयुक्त सचिव वीना शर्मा ने कहा कि केवल अफ्रीकी देशों से आयात होने वाला गेहूं सस्ता है, लेकिन आयात की कठिन गुणवत्ता शर्ते से आयात मुश्किल आएगी। केंद्र सरकार के पास एक नवंबर तक 268 लाख टन का भारी गेहूं स्टॉक उपलब्ध है, ऐसे में सरकार शायद ही अनाज का आयात करे, लेकिन खुले बाजार में गेहूं की कमी निजी मिलों को आयात के लिए मजबूर कर रही है। पिछले महीने ही केंद्र सरकार ने पांच लाख टन गेहूं दिसंबर तक तीन महीनों में बेचने की घोषणा की थी। गेहूं के नवंबर वायदा भाव तीन नवंबर को उच्चतम स्तर पर पहुंच गए थे। एक अक्टूबर से अब तक गेहूं के हाजिर और वायदा भावों में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। कारोबारियों का यह भी कहना है कि किसानों से गेहूं की भारी सरकारी खरीद के कारण भी निजी मिलों के पास स्टॉक की कमी हो गई है। (बिज़नस भास्कर)
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