नई दिल्ली November 24, 2009
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की स्वायत्त सांविधानिक संस्था भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) सभी आयातित खाद्य सामान की पड़ताल के लिए ऑनलाइन प्रणाली लागू करने जा रहा है।
प्राधिकरण की योजना देश की नियामक संस्थाओं के साथ फूड ऐंड ड्रग अथॉरिटी (एफडीए) की तर्ज पर काम करने की है। वह ऐसी संस्थाओं से भारत में आने वाले उत्पादों के बारे में जानकारी एकत्रित करेगा। इससे प्राधिकरण के पास सभी आयातित खाद्य उत्पादों का पूरा विवरण मौजूद रहेगा।
इस पहल से अपमिश्रित खाद्य उत्पादों के आयात पर नकेल लगाने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले चीन से मेलामाइन मिश्रित दूध आने की शिकायत मिली थी। एफएसएसएआई आयातित उत्पादों के खतरनाक असर दिखने की स्थिति में इससे तुरंत निपटने के लिए राज्यों के खाद्य, स्वास्थ्य सलाहकार और बंदरगाह प्राधिकरणों के साथ भी काम करेगा।
गौरतलब है कि भारत में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और कई वैश्विक रिटेल कंपनियां यहां दस्तक दे रही हैं। फिलहाल, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की 20 फीसदी खपत आयात के जरिए पूरी की जाती है। निकट भविष्य में इसमें तेज बढ़ोतरी की पूरी संभावना है।
एफएसएसएआई के अध्यक्ष पी आई सुव्रतन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'आयात बाद होने वाली पड़ताल और सुरक्षा जांच के बजाय अब आयात पूर्व पड़ताल करने का विचार हो रहा है। अनुमति यदि मिल गई तो खाद्य उत्पादों का पता ऑनलाइन ही किया जाएगा।
मसलन, क्या आ रहा है, कहां से आ रहा है और इसमें मुख्य अवयव क्या हैं आदि-आदि। ये उत्पाद जहां से मंगाए जा रहे हैं, हम वहां के प्र्रशासन से इसकी सुरक्षा की पड़ताल भी करेंगे।' इतना ही नहीं, इन उत्पादों के इस्तेमाल की अंतिम तिथि (एक्सपायरी डेट) का भी ब्योरा रखा जाएगा।
फिलहाल आयातित खाद्य पदार्थ की प्राथमिक जांच-पड़ताल कस्टम विभाग द्वारा होता है। यह खाद्य अपमिश्रण रोकथाम (पीएफए) अधिनियम का विषय है। अभी किसी नुकसानदेह नतीजे की स्थिति में तत्काल कदम उठाने की कोई ऑनलाइन ट्रैकिंग प्रणाली नहीं है। न ही खराब नतीजे की स्थिति में ऐसे समानों को बाजार से वापस करने का कोई सख्त और उपयुक्त ढांचा है।
हालांकि नई योजना के मुताबिक, प्राधिकरण सुनिश्चित करेगा कि देश में खाद्य उत्पादों का निर्यात करने वाली कंपनियों के पास खराब सामानों की एक सुनिश्चित पुनर्वापसी योजना हो। यह भी सुनिश्चत किया जाएगा कि खराब नतीजे की हालत में समूचा माल वापस लिया जाए न कि चुनिंदा। पुनर्वापसी की समयसीमा भी तय की जाएगी। ऐसा यदि नहीं होता तो मामला कोर्ट में भेजा जाएगा।
सुव्रतन ने कहा, 'प्राधिकरण इस मामले को अन्य हिस्सेदारों से चर्चा करेगा। प्राधिकरण में चूंकि 8 मंत्रालय जैसे कस्टम, व्यापार, जहाजरानी और बंदरगाह आदि शरीक हैं, लिहाजा इसके लागू होने में कम से कम साल भर का समय लगेगा।' खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत इस मसले पर प्राधिकरण के पास एक कानून होगा। (बीएस हिन्दी)
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