28 नवंबर 2009
दलहनों का बुवाई रकबा बढ़ा जबकि ज्वार का एरिया घटा
रबी सीजन की बुवाई की स्थिति इस समय मिलीजुली ही दिखाई दे रही है। दलहनों का कुल बुवाई रकबा बढ़ गया है जबकि मोटे अनाजों में ज्वार का रकबा काफी गिर गया। सरकार के लिए राहत की बात यह है कि इस साल गेहूं का रकबा बढ़ गया है।कृषि मंत्रालय द्वारा 26 नवंबर तक के बुवाई के आंकड़ों के अनुसार गेहूं के बुवाई रकबे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है लेकिन मोटे अनाजों का रकबा कम रहा। तिलहन का रकबा भी कुछ कम है, जबकि दलहन का रकबा बढ़ा है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल 50।40 लाख हैक्टेयर में मोटे अनाज की बुवाई हो चुकी, जबकि बीते वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 54.52 लाख हैक्टेयर पर था। हालांकि गेहूं का रकबा 137.02 लाख हैक्टेयर हो चुका है जो पिछले वर्ष समान अवधि की बुवाई की तुलना में करीब सात लाख हैक्टेयर अधिक है। बीते वर्ष 26 नवंबर तक गेहूं का रकबा 130.34 लाख हैक्टेयर था। रबी सीजन के धान का रकबा भी पिछले वर्ष के 1.14 लाख हैक्टेयर की तुलना में मौजूदा वर्ष में अब तक 2.24 लाख हैक्टेयर हो गया है। इसके अलावा जौ का रकबा भी 4.44 लाख हैक्टेयर हो चुका है जबकि पिछले वर्ष यह इस अवधि तक 3.89 लाख हैक्टेयर था। रबी की मक्का में भी रकबा करीब 0.40 लाख हैक्टेयर बढ़ गया है। आंकड़ों के मुताबिक मक्का का बुवाई क्षेत्र 4.30 लाख हैक्टेयर हो चुका है। लेकिन, सबसे बड़ी गिरावट रबी की एक प्रमुख फसल ज्वार के रकबे में देखी जा रही है। ज्वार के अंतर्गत बुवाई क्षेत्र अब तक 41.40 लाख हैक्टेयर ही हो पाया है जबकि बीते वर्ष समान अवधि में ज्वार का रकबा 46.34 लाख हैक्टेयर था। तिलहनों में सरसों का रकबा करीब दो लाख हैक्टेयर बढ़ने के बावजूद कुल तिलहन में लगभग 1.5 लाख हैक्टेयर की गिरावट है। इसमें सूरजमुखी का रकबा करीब 2.5 लाख हैक्टेयर तक कम रहा है। रबी के मौजूदा सीजन में कई फसलों के रकबे में गिरावट आई है, लेकिन दलहन के कुल बुवाई क्षेत्रफल में करीब 3.5 लाख हैक्टेयर का इजाफा हुआ है। दलहन की बुवाई का कुल क्षेत्रफल 94.17 लाख हैक्टेयर है। जबकि बीते वर्ष समान अवधि में यह 91.93 लाख हैक्टेयर पर था। सबसे अधिक इजाफा अरहर में देखा गया है, इसका रकबा पिछले वर्ष के 11.45 लाख हैक्टेयर से बढ़कर इस वर्ष 13.68 लाख हैक्टेयर हो गया है। दलहन में 0.01 लाख हैक्टेयर की बेहद मामूली गिरावट मूंग में देखी जा रही है। लेकिन धीरे-धीरे इसमें भी सुधार आने की संभावना है। (बिज़नस भास्कर)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें