नई दिल्ली November 18, 2009
सरकार ने बुधवार को कहा कि सरकारी गोदामों में अतिरिक्त स्टॉक के बावजूद चावल विपणन सत्र 2009-10 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान देश में चावल का आयात करना पड़ेगा। ऐसा करके ही इसके उत्पादन में कमी की भरपाई हो सकेगी।
यह बात वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कही है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जबकि खाद्यान्न भंडार और इसकी कीमतों पर दो दिन बाद मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की बैठक होने वाली है। मुखर्जी इस समिति के प्रमुख भी हैं।
मुखर्जी ने बताया, 'हमने अक्टूबर से इस चावल सत्र की शुरुआत 60 लाख टन के अतिरिक्त भंडार के साथ की थी। इसके बावजूद खरीफ की फसल कुछ कम रहने का अनुमान है। इसकी भरपाई के लिए हमें आयात करना ही पड़ेगा।'
हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कितना चावल आयात होगा और कब होगा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के एक समारोह में उन्होंने कहा, 'कितने चावल का आयात कब होगा, इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।' सरकार का अनुमान है कि विभिन्न राज्यों में बाढ़ और सूखे के चलते 2009-10 खरीफ सत्र में चावल उत्पादन में करीब 1.5 करोड़ टन की कमी आएगी।
मंत्रिसमूह के ही सदस्य वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने मंगलवार को कहा था कि सरकार की थाइलैंड और वियतनाम जैसे प्रमुख चावल निर्यातकों के साथ चावल खरीद के लिए बातचीत हो रही है। इनमें निजी व्यापारियों को शामिल नहीं किया जाएगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की एमएमटीसी, एसटीसी और पीईसी जैसी कंपनियों ने 30,000 टन चावल आयात के लिए अब तक 18 वैश्विक निविदाएं हासिल की हैं। ये कंपनियां इन बोलियों पर सरकार के दिशानिर्देश का इंतजार कर रही हैं। अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक, भारत को 2 लाख टन तक चावल आयात करना पड़ सकता है।
...भरा जाएगा खाली भंडार
बकौल मुखर्जी, प्रतिकूल मौसम से 1।5 करोड़ टन कम होगा चावल उत्पादन चावल सत्र की शुरुआत में था 60 लाख टन का अतिरिक्त भंडारखाद्यान्न पर मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष हैं मुखर्जी, 20 नवंबर को होगी बैठक (बीएस हिन्दी)
19 नवंबर 2009
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