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17 नवंबर 2009

खाद्य तेलों के लिए भारत की आयात पर निर्भरता अब 50त्न

ड्यूटी फ्री खाद्य तेल आयात की अनुमति का ही कमाल है कि खरीफ फसलों की पैदावार कम रहने के बावजूद खाद्य तेलों के भाव पर लगाम लगी हुई है लेकिन सरकार की इस सफलता का एक नकारात्मक पहलू भी है कि बीते तेल वर्ष 2008-09 (नवंबर से अक्टूबर) के दौरान भारत खाद्य तेलों के मामले में 50 फीसदी आयात पर निर्भर हो गया। बीते तेल वर्ष में 86.6 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ अगर नए तेल वर्ष 2009-10 के लिए बकाया आयातित तेलों के स्टॉक (करीब 15 फीसदी) को भी निकाल दें तो बीते तेल वर्ष में 65 से 70 लाख टन आयातित खाद्य तेलों की खपत हुई जबकि देश में कुल खपत 135 से 140 लाख टन कुल खपत रहने का अनुमान है।सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार बीते तेल वर्ष में पिछले साल के मुकाबले 37 फीसदी ज्यादा खाद्य तेल आयात किया गया। पिछले तेल वर्ष 2007-08 में 63.1 लाख टन का आयात हुआ था। एसईए के आंकड़ों के मुताबिक तेल वर्ष 2008-09 में देश में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 86.6 लाख टन रहा जो कुल खपत का करीब 60 फीसदी है। नए सीजन के लिए बकाया स्टॉक (करीब 15 फीसदी) निकाल दें, तो भी आयातित खाद्य तेलों की खपत 65 से 70 लाख टन के बीच रह सकती है। इस तरह देश बीत तेल वर्ष में करीब 50 फीसदी खाद्य तेल आयात पर निर्भर हो गया। देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत 135-140 लाख टन की होती है। इससे पिछले वर्ष तक खाद्य तेलों के मामले में 40 से 45 फीसदी तक आयात पर निर्भरता आंकी जाती थी।सीईए के आंकड़ों के मुताबिक कुल आयात में 81.8 लाख टन खाद्य तेल, 4.6 लाख टन अखाद्य तेल और 0.2 लाख टन वनस्पति तेल है। वर्ष 2007-08 में देश में कुल खाद्य तेलों का आयात 63.1 लाख टन का हुआ था, इसमें 56.1 लाख टन खाद्य तेल, 6.5 लाख टन अखाद्य तेल और 0.5 लाख टन वनस्पति का आयात हुआ था। घरेलू बाजार में मांग कमजोर होने के कारण अक्टूबर महीने में खाद्य तेलों के आयात में 19 फीसदी की कमी आई और इस दौरान कुल 667,276 टन खाद्य तेल आयात हुआ जबकि पिछले साल अक्टूबर में 826,848 टन आयात हुआ था।कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आरंभिक अनुमान के मुताबिक चालू खरीफ में तिलहन उत्पादन 152.3 लाख टन ही होने का अनुमान है। इसमें सोयाबीन का 89.3 लाख टन और मूंगफली का 45.3 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। सबसे ज्यादा कमी मूंगफली की पैदावार में आई है। वर्ष 2008-09 में खरीफ तिलहन उत्पादन 178.8 लाख टन का हुआ था। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि आयात में हुई भारी बढ़ोतरी के कारण ही भाव नरम बने हुए हैं। खरीफ तिलहनों की पैदावार में कमी का भाव पर कोई असर नहीं है। सरसों तेल के दाम 515-520 रुपये, क्रूड पाम तेल के भाव कांडला पोर्ट पर 325 रुपये, रिफाइंड सोया तेल इंदौर में 410 रुपये और हरियाणा की मंडियों में बिनौला तेल के भाव 420 रुपये प्रति दस किलो चल रहे हैं। हर महीने करीब सात लाख टन से ज्यादा खाद्य तेलों का आयात हो रहा है। इंडोनेशिया और मलेशिया में हाजिर स्टॉक में बढ़ोतरी और क्रूड पाम पर आयात शुल्क न होने के कारण आयातक भारी मात्रा में आयात कर रहे हैं। दाम नीचे होने के कारण भारत में खाद्य तेलों की प्रति व्यक्ति खपत में भी बढ़ोतरी हुई है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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