नई दिल्ली November 16, 2009
चीनी के सबसे बड़े उपभोक्ता भारत में सरकार चीनी की कीमतों को लेकर गंभीर है।
सरकार ने कहा कि कीमतों में तेजी वैश्विक स्तर पर इसकी किल्लत के चलते है, पर वह घरेलू बाजार की स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए है। सीआईआई के एक कार्यक्रम के दौरान कैबिनेट सचिव के. एम. चन्द्रशेखर ने बताया, 'चीनी की कीमतें विश्वभर में काफी ऊंची बनी हुई हैं। इसकी वजह वैश्विक स्तर पर चीनी की किल्लत है।'
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू बाजार में चीनी की खुदरा कीमतें 90 फीसदी बढ़कर 38 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं, जो बीते साल अक्टूबर में 20 रुपये थी। 2008-09 के चीनी सीजन (अक्टूबर से सितंबर) में देश का चीनी उत्पादन घटकर 1.5 करोड़ टन पर आ गया जो इससे पिछले साल 2.64 करोड़ टन था।
सरकार ने कच्ची और सफेद चीनी के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति सहित चीनी के वायदा कारोबार में प्रतिबंध जैसे कई उपाय किए हैं। गन्ने की खेती करने वाले प्रमुख देश ब्राजील में गन्ने की पैदावार घटने के अनुमान से विश्वभर में चीनी की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन के मुताबिक, 2008-09 सीजन में चीनी का वैश्विक उत्पादन 7.1 फीसदी तक घटकर 15.53 करोड़ टन पर आने का अनुमान है।
गेहूं आयात की योजना अभी नहीं
देश में गेहूं आयात की तत्काल कोई योजना नहीं है। केंद्रीय कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर ने कहा, 'गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है। इसके आयात की कोई योजना नहीं है।' इस साल खरीफ के दौरान सूखे का व्यापक असर रहा है, जिसकी वजह से खरीफ की फसलें प्रभावित हुई हैं।
हालांकि रबी के मौसम में फसलों का उत्पादन बढ़िया रहने का अनुमान है। बावजूद इसके, हाजिर और वायदा बाजार में गेहूं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कीमतें बढ़ने के कारण यह कयास लगाया जा रहा था कि फौरी तौर पर सरकार गेहूं का आयात कर सकती है। (बीएस हिन्दी)
17 नवंबर 2009
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