November 16, 2009
आर्थिक मंदी के बाद कॉफी के निर्यात पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। नई फसल पिछले साल से बेहतर रहने की उम्मीद की जा रही है।
कॉफी क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं पर नयनिमा बसु ने भारतीय कॉफी बोर्ड के चेयरमैन जीवी कृष्ण राव से खास बातचीत की। उनका कहना है कि डीईपीबी योजना का विस्तार दिसंबर 2010 तक किए जाने का निर्यात पर सकारात्मक असर पड़ेगा। पेश हैं खास अंश...
कॉफी के निर्यात में सुधार की कब तक उम्मीद है? पिछले साल देश से कितना निर्यात हुआ?
निर्यात सीधे तौर पर उत्पादन से जुड़ा मसला है। पिछले कुछ सालों की तुलना में इस साल फसल बेहतर रहने के संकेत हैं। दिसंबर के अंत तक नई फसल बाजार में आ जाएगी। हम उम्मीद करते हैं कि उसके बाद, चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में निर्यात में तेजी आएगी। पिछले साल की तीसरी तिमाही के दौरान वैश्विक आर्थिक मंदी का साया रहा।
इस साल की चालू तिमाही में पिछले साल से बेहतर निर्यात की उम्मीद है। पिछले साल की तीसरी और चौथी तिमाही में निर्यात में आए नुकसान की भरपाई इस साल हो जाने की उम्मीद है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान कुल 2242.64 करोड़ रुपये की 1.97 लाख टन कॉफी का निर्यात हुआ था। यह रुपये और मात्रा दोनों के हिसाब से रिकॉर्ड निर्यात था।
वैश्विक कारोबार नीति 2009-14 का निर्यात पर क्या असर है और कॉफी की खेती करने वालों पर इसका असर कैसा रहेगा?
वैश्विक कारोबार नीति 2009-14 में डीईपीबी योजना को दिसंबर 2010 तक बढ़ा दिया गया है, जिससे हमारे निर्यातक और प्रतिस्पर्धी बने रहेंगे। इस फसल का अनुमानित उत्पादन करीब 3 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले दो साल की तुलना में 44,000 टन ज्यादा होगा। ऐसे में डीईपीबी के विस्तार से निश्चित रूप से इसकी खेती करने वालों पर सकारात्मक असर पड़ेगा और उन्हें बेहतर दाम मिलेंगे।
सरकार जल्द ही कॉफी उत्पादकों को राहत पैकेज देने जा रही है। इससे वे और प्रतिस्पर्धी तथा सक्षम हो सकेंगे। इसके साथ ही तमाम अंतरराष्ट्रीय कॉफी चेन ने भारत में निवेश की इच्छा जताई है। इससे तकनीकी रूप से आधुनिकीकरण और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।
मंदी के बाद अब कॉफी का कारोबार जिंस बाजार में कितना फायदेमंद रह गया है?
मंदी का असर कॉफी की वैश्विक खपत पर नहीं पड़ा है। इसके साथ ही अच्छी कॉफी की कमी की वजह से अरेबिका कॉफी की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि रोबस्टा काफी की पर्याप्त मात्रा की वजह से इसकी कीमतें कम हुई हैं। हालांकि हमारी वाश्ड रोबस्टा को आकर्षक प्रीमियम मिल रहा है।
वित्तीय संकट का आगामी कुछ वर्षों में कॉफी की कीमतों पर क्या असर रहेगा?
कॉफी की वैश्विक खपत में 2.4 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी हो रही है। 2008-09 में वैश्विक खपत 13 करोड़ बोरी रहने का अनुमान है, जबकि उत्पादन 12.6 करोड़ टन रहेगा। इस तरह से कॉफी के वैश्विक स्टॉक में कमी रहेगी। आने वाले सालों में खपत में हो रही लगातार बढ़ोतरी की वजह से कीमतों में मजबूती बनी रहेगी।
कॉफी की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों को लेकर आपका क्या अनुमान है?
हम किसी कीमत की भविश्यवाणी नहीं करते। बहरहाल उत्पादन और खपत के जो आंकड़े हैं, उससे हमें अनुमान मिल रहा है कि कॉफी की कीमतों में मजबूती बनी रहेगी। साथ ही बाहर के देशों में स्टॉक भी नहीं है। इससे कॉफी उत्पादकों को मदद मिलेगी और पे अपनी उत्पादकता सुधारकर बेहतर मुनाफा कमा सकेंगे। (बीएस हिन्दी)
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