20 अप्रैल 2010
मांग कमजोर होने से जीर में और गिरावट के आसार
निर्यातकों के साथ ही घरेलू मसाला निर्माताओं की मांग कमजोर होने से पिछले एक सप्ताह में जीर की कीमतों में करीब 4।2 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। ऊंझा मंडी में जीर के दाम घटकर 2200-2250 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। चालू सीजन में देश में जीर की पैदावार पिछले साल के मुकाबले करीब सात फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है। इसीलिए उत्पादक मंडियों में आवक ज्यादा हो रही है। आवक की तुलना में खरीद कम है। ऐसे में आगामी दिनों में इसकी कीमतों में और भी पांच-छह फीसदी की गिरावट आने की आशंका है। जीरा निर्यातक फर्म जैब्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरक्टर भास्कर शाह ने बताया कि भारत में पैदावार पिछले साल से ज्यादा होने की संभावना है। जबकि जून-जुलाई में टर्की और सीरिया में जीर की नई फसल आ जाएगी। इसीलिए खाड़ी देशों के साथ ही यूरोप के आयातकों की मांग पहले की तुलना में कम हो गई है। जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ ही घरलू बाजार में भी इसके दाम घटे हैं।अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीर के दाम घटकर 2200-2250 डॉलर, टर्की के जीर का भाव 2400-2450 और सीरिया के जीर का भाव 2300-2350 डॉलर प्रति टन रह गए। पिछले पंद्रह दिनों में इसकी कीमतों में करीब 100 डॉलर प्रति टन की गिरावट आ चुकी है तथा भाव घटने के बाद भी मांग कमजोर है। उधर रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होने से भारतीय निर्यातकों को घटी कीमतों पर पड़ते नहीं लग रहे हैं। मैसर्स हनुमान प्रसाद पीयूष कुमार के प्रोपराइटर विरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि चालू फसल सीजन में देश में जीर का उत्पादन पिछले साल के 28 लाख बोरी (प्रति बोरी 55 किलो) से बढ़कर 29-30 लाख बोरी होने का अनुमान है। ऊंझा मंडी में जीर की दैनिक आवक करीब 15 हजार बोरी की हो रही है लेकिन स्टॉकिस्टों की खरीद कमजोर है। पिछले एक सप्ताह में इसकी कीमतों में करीब 500 रुपये की गिरावट आकर भाव 11,000-11,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। ऊंझा मंडी में जीर का करीब दो लाख बोरी का स्टॉक हो चुका है लेकिन एनसीडीईएक्स के वेयरहाउसों में लगभग चार-पांच लाख बोरी हैजिंग में जा चुकी है। एनसीडीईएक्स पर निवेशकों की बिकवाली बढ़ने से मई महीने के वायदा अनुबंध में पिछले दस दिनों में जीर के दाम करीब 3.6 फीसदी घट चुके हैं।भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2009-10 के अप्रैल से फरवरी के दौरान जीरा निर्यात में 14 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 42,500 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 49,500 टन का निर्यात हुआ था। फरवरी महीने में ही निर्यात में 17 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 2500 टन का ही हुआ है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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