मुंबई April 15, 2010
महाराष्ट्र की चीनी मिलों को इस समय आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह है कि इस समय चीनी की कीमतें गिरकर 2670-2725 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आ गई हैं।
मार्च में एक्स मिल कीमतें 3250 रुपये प्रति क्विंटल थीं। ये कीमतें मिलों द्वारा गन्ने के घोषित मूल्य 2500 रुपये प्रति टन से पहले ही 500 रुपये प्रति टन नीचे हैं। चीनी का उत्पादन लागत 2800 रुपये प्रति क्विंटल है।
उद्योग जगत के सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि एक्स मिल कीमतों का वर्तमान भाव पहली बार इस पेराई सत्र में उत्पादन लागत से नीचे चला गया है। अगर यह लंबे समय तक जारी रहता है तो मिलें निश्चित रूप से गंभीर वित्तीय संकट में चली जाएंगी। उम्मीद की केवल एक किरण है कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, जिसके प्रभाव से भारत में चीनी की कीमतों में परोक्ष रूप से असर पड़ेगा।
उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि कीमतों में गिरावट का असर पूरे महाराष्ट्र पर पड़ा है, जो देश में चीनी के कुल उत्पादन में 30 प्रतिशत योगदान करता है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार महाराष्ट्र में 65 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा, जबकि शुरुआत में 48 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था।
उम्मीद की जा रही है कि पेराई का सत्र मई के अंत में खत्म होगा, क्योंकि राज्य सरकार ने घोषणा की है कि जब तक गन्ने की पेराई पूरी नहीं हो जाती, मिलों को बंद नहीं किया जाएगा। फेडरेशन आफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवारे ने कहा कि भारत सरकार ने 12.8 लाख का कोटा 10 अप्रैल तक के लिए तय किया है, जो अप्रैल 2009 के 21 लाख टन (बफर स्टॉक सहित) कोटे से कम है।
अगर इसमें गर्मी की मांग भी शामिल हो जाती है तो कीमतों में बढ़ोतरी होगी। बहरहाल, सवाल यह है कि अगर कीमतें 3250 रुपये प्रति क्विंटल से कम रहती हैं तो किसी भी स्तर पर मिलों को घाटा होगा और इसका असर मिलों की वित्तीय स्थिति पर पड़ रहा है।
महाराष्ट्र शुगर ब्रोकर्स ऐंड मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश पांडे ने कहा कि ब्राजील की फसल देर से आने की उम्मीद के चलते चीनी के अंतरराष्ट्रीय दामों में बढ़ोतरी हुई है और इस समय कीमतें 530 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं। साथ ही यह भी खबर है कि चीन के आयात में बढ़ोतरी होगी। इसके चलते उम्मीद है कि घरेलू कीमतों पर भी इसका असर पड़ेगा।
महाराष्ट्र की चीनी मिलों का संकट
चीनी की कीमतें मार्च के 3250 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में अब गिरकर 2670-2725 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैंकिसानों को गन्ने का मूल्य 2500 रुपये प्रति टन देने से मिलों को हो रहा है 500 रुपये प्रति टन का घाटा (बीएस हिंदी)
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