नई दिल्ली April 23, 2010
दो महीनों के दौरान चीनी की कीमतों में हर सप्ताह हो रही गिरावट से चीनी कारोबारी अपने नुकसान का रोना रो रहे हैं। दो माह में चीनी की कीमत 45 रुपये से घटकर 29 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।
उनकी दलील है कि भाव में हर हफ्ते लगभग 2 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई। जबकि मिल से थोक बाजार तक चीनी पहुंचने में ही 4-5 दिन लग जाते हैं। ऐसे में बाजार में आते-आते चीनी की कीमत कम हो जाती है। और उन्हें सैकड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है।
कारोबारियों की यह भी मांग है कि चीनी पर लगी स्टॉक सीमा को समाप्त किया जाए। उन्होंने सरकार से चीनी के भाव में हो रहे लगातार उतार-चढ़ाव पर रोक के उपाय करने की मांग की है। चीनी के थोक व्यापारियों के मुताबिक पिछले दो महीनों से उन्हें खरीद कीमत से कम भाव पर चीनी की बिकवाली करनी पड़ रही है।
उन्होंने बताया कि भाव में होने वाली लगातार हो रही कमी और तेजी में सबसे ज्यादा नुकसान थोक कारोबारियों को होता है। वे कहते हैं कि अब देश में चीनी की कोई कमी नहीं है और ऐसे में चीनी के भाव चाहे 20 रुपये किलोग्राम ही सही, स्थिर होने चाहिए। इस साल देश में कम से कम 180 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है।
अब तक 40 लाख टन कच्ची चीनी तो 10 लाख टन परिष्कृत चीनी का आयात हो चुका है। 30 लाख टन पिछले साल का स्टॉक था। ऐसे में इस साल चीनी वर्ष के लिए 260 लाख टन चीनी की उपलब्धता होगी। जबकि देश में कुल 225-230 लाख टन चीनी की खपत है।
चीनी के थोक कारोबारी विक्की गुप्ता कहते हैं, 'चीनी की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद चीनी की स्टॉक सीमा लागू है। दिल्ली में एक बार के लिए 200 टन की सीमा लागू है। सरकार को अब चीनी की स्टॉक सीमा खत्म कर देनी चाहिए।'
बाजार में पहुंचने के पहले मंद
कारोबारियों का कहना है कि हर हफ्ते कीमतों में 2 रुपये किलो की गिरावट हो रही हैमिल से बाजार तक चीनी पहुंचने में लगते हैं 4-5 दिन, तब तक सस्ती हो जाती है चीनीकारोबारियों का कहना है कि चीनी पर स्टॉक सीमा खत्म की जानी चाहिए (बीएस हिंदी)
23 अप्रैल 2010
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