मुंबई April 28, 2010
मॉनसूनी बारिश पहले होने से खरीफ की फसलों- धान, सोयाबीन या मूंगफली की बुआई का रकबा नहीं बढ़ेगा।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर मॉनसून सामान्य रहता है और हर इलाके में सामान्य बारिश होती है तो चालू सत्र में निश्चित रूप से बुआई का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। पिछले साल भी मौसम विभाग ने सामान्य मॉनसून का अनुमान लगाया था। लेकिन पिछले साल दक्षिण पश्चिमी मॉनसून कमजोर होने की वजह से सामान्य से कम बारिश हुई।
इस साल भी मौसम विभाग ने कमोबेश सामान्य मॉनसून का अनुमान लगाया है, जिसके मुताबिक 98 प्रतिशत सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। साथ ही अनुमान है कि इस साल भारत में 7-10 दिन पहले मॉनसून आ जाएगा।
केयर रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा- पहली बात तो यह है कि शुरुआती मॉनसून केरल और आसपास के इलाकों में आएगा, जहां धान और तिलहन की खेती नहीं होती। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश में इससे कोई फायदा नहीं होगा। महाराष्ट्र में जुलाई में धान की बुआई होती है और केरल में अगस्त में होती है, जिससे इन राज्यों को फायदे की उम्मीद नहीं है।
संभव है कि इसका फायदा कर्नाटक या आंध्र प्रदेश को थोड़ा बहुत मिल जाए। उत्तर भारत में कोई खास फायदा नहीं होगा। साथ ही उन इलाकों में पहले बुआई हो सकती है, जहां किसान साल में एक फसल उगाते हैं। शेष इलाकों में रबी की फसल का काम मई के अंत में खत्म होता है।
जियोजीत कॉमट्रेड के मुख्य विश्लेषक आनंद जेम्स ने कहा, 'मॉनसून के जल्दी आने को खेती के लिए बेहतर माना जाता है, लेकिन इससे बुआई के क्षेत्रफल पर मामूली प्रभाव होगा, खासकर ऐसी स्थिति में जब ज्यादातर फसलों का किसानों को उचित दाम नहीं मिला। बहरहाल, सस्ते बीज, बेहतर घरेलू मांग और निर्यात बाजार में सुधार की वजह से कृषि का रकबा बढ़ सकता है।'
केयर रेटिंग की रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य मॉनसून का कोई खास असर महंगाई दर पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि बाजार धारणा के मुताबिक आपूर्ति की स्थिति बेहतर नहीं है। बहरहाल मॉनसून सामान्य रहना अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर संकेत है।
कोटक कमोडिटीज सर्विसेज लिमिटेड के एक विश्लेषक अमोल तिलक ने कहा कि मूंगफली और सोयाबीन का क्षेत्रफल इस बात पर निर्भर करेगा कि बुआई के समय इनकी कीमतें कैसी रहती हैं, हालांकि धान की बुआई का क्षेत्रफल बढ़ने की उम्मीद है। (बीएस हिंदी)
29 अप्रैल 2010
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