12 अप्रैल 2010
यार्न के निर्यात पर अंकुश लगने से कॉटन मूल्य में आई गिरावट
घरेलू बाजार में कॉटन के मूल्य पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम का असर बाजार में दिखने लगा है। कॉटन यार्न के निर्यात पर डयूटी ड्रॉ बैक हटाने के अलावा इसके निर्यात सौदों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बाद कॉटन की कीमतों में 3।5फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अहमदाबाद में शनिवार को शंकर-6 किस्म की कॉटन के दाम घटकर 27,400- 27,700 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो )रह गए। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा 9 अप्रैल 2010 को जारी अधिसूचना के अनुसार निर्यातकों को कॉटन यार्न निर्यात सौदों को पंजीकृत कराना अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा कॉटन यार्न के निर्यात पर दी जाने वाली 7.5 फीसदी ड्यूटी ड्रा बैक रियायत वापस ले ली गई है। कॉटन के निर्यात पर शुल्क लगाने की भी संभावना है। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि कॉटन की कीमतों में आई तेजी के कारण सरकार ने ये कदम उठाए हैं। कॉटन यार्न निर्यात सौदे पंजीकृत होने से सरकार के पास निर्यात की पूरी जानकारी रहेगी। सरकार के इन उपायों के बाद स्टॉकिस्टों की बिकवाली पहले की तुलना में बढ़ गई है जबकि मिलों की मांग में कमी आने से घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतें करीब 1000 रुपये प्रति कैंडी घट चुकी हैं। पिछले एक महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कॉटन की कीमतों में 2.42 फीसदी की गिरावट आने का असर भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों पर पड़ा है। उधर न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन मई वायदा अनुबंध का भाव विगत 9 मार्च को 79.73 सेंट प्रति पाउंड था जो 9 अप्रैल को घटकर 78.07 सेंट प्रति पाउंड रह गया।हालांकि ये भाव पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 29.66 फीसदी ज्यादा है। 9 अप्रैल 2009 को न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन की कीमत 48.41 सेंट प्रति पाउंड थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में तेजी के कारण ही चालू सीजन में भारत से कॉटन के निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसीलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी बनी। टैक्सटाइल कमिश्नर द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 7 अप्रैल 2010 तक भारत से 79.41 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन के निर्यात सौदे पंजीकृत हो चुके हैं जबकि इसमें से 54.37 लाख गांठ की शिपमेंट हो चुकी हैं। मालूम हो कि पिछले साल कुल निर्यात ही लगभग 31 लाख गांठ का हुआ था। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष डी. एन. सेठ ने बताया कि 2009-10 में देश में कॉटन का उत्पादन 301.75 लाख गांठ होने का अनुमान है। जबकि अभी तक मंडियों में 263 लाख गांठ की आवक हो चुकी है। उत्तर भारत की मंडियों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कॉटन की दैनिक आवक 1500 गांठ की हो रही है। पिछले साल की समान अवधि में मात्र 250 गाठ की आवक हो रही थी। इसी तरह से गुजरात की मंडियों में दैनिक आवक 25,000 गांठ की हो रही है जो पिछले साल की समान अवधि के 20,000 गांठ से ज्यादा है। उधर महाराष्ट्र की मंडियों में दैनिक आवक पिछले साल की समान अवधि के 10,000 हजार गांठ के मुकाबले 15,000 गांठ की हो रही है।बात पते कीमिलों की मांग गिरने से घरेलू बाजार में कॉटन के दाम 1000 रुपये प्रति कैंडी घट चुके है। उधर न्यूयॉर्क में मई वायदा अनुबंध का भाव घटकर 78.07 सेंट प्रति पाउंड रह गया। (बिज़नस भास्कर.....आर अस राणा)
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