कुल पेज दृश्य

07 अप्रैल 2010

रबर की कीमतों में तेजी जारी

कोच्चि April 06, 2010
घरेलू बाजार में प्राकृतिक रबर की कीमतें फिर रफ्तार पकड़ने लगी हैं। बेंचमार्क ग्रेड आरएसएस-4 की कीमतें 160 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं।
वहीं कोट्टायम बाजार में सोमवार को कीमतें 161 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गईं। महज तीन सप्ताह के भीतर रबर की कीमतों में 10 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है। इन कीमतों पर भी स्थानीय बाजार में रबर की बहुत कमी है।
रबर के प्रमुख कारोबारियों का कहना है कि इससे आने वाले दिनों में कीमतों में और बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं। प्राकृतिक रबर की बाजार में कमी के पीछे प्रमख वजह उत्पादकों और स्टॉकिस्टों के एक वर्ग द्वारा रबर का भंडारण है। कोच्चि के एक डीलर ने कहा कि जब कीमतें बढ़ रही हों तो ऐसा स्वाभाविक है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी तेजी चल रही है और वैश्विक रूप से कमी प्रमुख समस्या है। सिंगापुर बाजार में सोमवार को रबर की कीमतें 159.29 रुपये प्रति किलो रहीं। इस बढ़ोतरी के चलते केरल में रबर के पेड़ों से टैपिंग का काम भी जोर पकड़ चुका है। राज्य के मध्य और दक्षिणी इलाकों में टैपिंग का काम बहुत तेज है। पिछले सप्ताह बाजार 158 रुपये प्रति किलो पर बंद हुआ था।
इंडियन रबर डीलर्स फेडरेशन (आईआरडीएफ) के अध्यक्ष जार्ज वैली के मुताबिक भविष्य में भी कीमतों में तेजी बने रहने के आसार हैं, क्योंकि घरेलू मांग पूरी करने के लिए घरेलू आपूर्ति का ही सहारा है। मार्च और अप्रैल महीने में गर्मी ज्यादा होने की वजह से उत्पादन कम रहेगा और मई से ताजा स्टॉक आना शुरू होगा। आपूर्ति में कमी का फायदा रबर उत्पादकों को कुछ समय के लिए जरूर मिलेगा।
बहरहाल टैपिंग करने वाले मजदूरों की कमी की वजह से भी उत्पादन प्रभावित हो रहा है। केरल के कुछ हिस्सों में यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है। टैपिंग करने वाले मजदूरों ने भवन और सड़कों के निर्माण काम की ओर रुख कर लिया है।
रबर बोर्ड ने टैपिंग करने वाले मजदूरों की सुविधा के लिए एक योजना चलाई है। रबर उत्पादक सोसाइटी के साथ मिलकर टैपर्स बैंक बनाया गया है, जिससे टैपर्स की कमी से बचा जा सके। टैपर्स बैंग, स्वयं सहायता समूह है, जो रबर उत्पादक सोसाइटी के बैनर तले काम करता है। इसमें 20-30 रबर टैपर्स शामिल होते हैं। यह बैंक मजदूरों के काम की सुरक्षा और आकर्षक वेतन मुहैया कराता है। (बीएस हिंदी)

कोई टिप्पणी नहीं: