अहमदाबाद April 14, 2010
निजी थोक बाजार या निजी मंडियों का गुजरात का सपना पूरा होने में अभी वक्त लगने वाला है।
जो कंपनियां गुजरात में निजी मंडियां लगाने में दिलचस्पी दिखा रही थीं, उन्होंने अपने लाइसेंसों को नया नहीं करवाया है और मंडियां बनाने की उनकी योजना कागजों पर ही सिमटकर रह गई है।
आदर्श कृषि अधिनियम (मॉडल एग्रीकल्चर ऐक्ट) के अंतर्गत 2008 में गुजरात सरकार ने तीन कंपनियों को लाइसेंस दिया था। इनमें दिल्ली की कंपनी प्रीमियम फार्म फ्रेश लिमिटेड और गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (जीएआईसी) शामिल हैं।
ये लाइसेंस दो सालों के लिए थें। गुजरात राज्य कृषि विपणन मंडल (जीएसएएमबी) के अधिकारी का कहना है, 'अभी तक हमारे पास कोई भी कंपनी अपना लाइसेंस ताजा कराने नहीं आई है और राज्य में निजी थोक बाजार को लेकर कोई खास प्रयास नहीं हुए हैं।'
जीएसएएमबी का गठन राज्य में निजी मंडियों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था। हालांकि जीएसएएमबी का कहना है कि इच्छुक कंपनियों ज्यादा वक्त ले रही हैं क्योंकि यह विचार नया है और परियोजना पर करीब 150-200 करोड़ रुपये खर्च आएगा। उनके मुताबिक, 'सुस्ती की वजह से कंपनियां परियोजना से कुछ समय के लिए दूर रहीं।'
प्रीमियम फार्म फ्रेश के अधिकारी का कहना है, 'कंपनी अभी भी गुजरात में निजी थोक बाजार बनाने में रुचि रखती है।' दिल्ली की कंपनी प्रीमियम फार्म फ्रेश पहले से ही महाराष्ट्र के नासिक में एक निजी मंडी चला रही है। कंपनी के पास कर्नाटक में निजी बाजार स्थापित करने के लिए चार लाइसेंस हैं, लेकिन वहां कंपनी को भूमि अधिग्रहण को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। (बीएस हिंदी)
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