नई दिल्ली April 23, 2010
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में वर्ष 2010-11 के लिए गन्ने का एफआरपी 139.12 रुपये क्विंटल तय करने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी गई।
पिछले साल की तुलना में इसमें 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यह भुगतान 9.5 प्रतिशत रिकवरी पर किया जाएगा। अगर इससे ज्यादा रिकवरी होती है तो रिकवरी में 0.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी पर 1.46 रुपये प्रीमियम का भुगतान किया जाएगा।
गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य वह मूल्य है जो गन्ना किसानों को कानूनी तौर पर मिलना चाहिए। हालांकि इसमें यह भी व्यवस्था है कि चीनी मिलें गन्ना किसानों को इस दाम से ऊपर कोई भी दाम देने के लिए स्वतंत्र हैं। गन्ने का रिकवरी रेट उस गन्ने से बनने वाली चीनी के आधार पर तय होता है। 9.5 प्रतिशत रिकवरी रेट का बेहतर माना जाता है।
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 2010-11 सत्र के लिए गन्ने का एफआरपी खाद्य मंत्रालय द्वारा की गई 140 रुपये प्रति क्विंटल की सिफारिश के अनुरूप ही तय किया है। सरकार का मानना है कि गन्ने का एफआरपी किसानों की गन्ना उत्पादन लागत, उसके जोखिम और मुनाफा तथा उसकी परिवहन लागत सभी कुछ को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।
सरकार ने इस मामले में कुल मिलाकर 45 प्रतिशत का मार्जिन रखा है। इसमें गन्ने की मिल गेट तक की परिवहन लागत, अखिल भारतीय स्तर पर गन्ना उत्पादन की औसत समायोजित लागत, जोखिम और किसान का मुनाफा सभी कुछ शामिल किया गया है।
जूट के एमएसपी में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी
केंद्र ने जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2010-11 के लिए 14.54 प्रतिशत ऊंचा कर 1,575 रुपये प्रति क्विंटल किया है। पिछली बार यह मूल्य 1,375 रुपये प्रति क्विंटल था। टीडी-5 ग्रेड पटसन का एमएसपी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
सरकारी वक्तव्य में कहा गया है कि,'कच्ची पटसन के एमएसपी में बढ़ोतरी से किसान इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित होंगे और देश की पटसन उत्पादन क्षमता बढेगी।'
पिछली फसल में पटसन का उत्पादन 96. 98 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि इससे पिछले साल 180-180 किलो ग्राम की कुल 96.34 लाख गांठ पटसन का उत्पादन हुआ था। इसकी खेती मुख्यत: पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, ओडिसा, आंध्र प्रदेश और त्रिपुरा में होती है।
तूतीकोरिन के लिए कार्गो बर्थ
बुनियादी ढांचे पर बनी कैबिनेट समिति ने नॉर्थ कार्गो बर्थ-2 के विकास की अनुमति दे दी है, जिससे तूतीकोरिन बंदरगाह से बड़े कार्गो का संचालन हो सके।
इस डिजाइन बिल्ड, फाइनैंस और ट्रांसफर आधार पर 30 साल के लिए अनुमानित खर्च 332.16 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। इसकी क्षमता 70 लाख टन प्रति साल होगी। उम्मीद है कि यह परियोजना 24 माह के भीतर पूरी हो जाएगी।
समुचित नहीं है गन्ने का यह मूल्य : किसान संगठन
किसान संगठनों ने केंद्र द्वारा आज घोषित गन्ने की दर को 'बहुत कम' बताते हुए कहा कि सरकार ने यह फैसला करते हुए खेती में बढते खर्च की भरपाई करना भी उचित नहीं समझा है।
संगठनों ने मांग की है कि कृषि उपजों का मूल्य तय करते समय सरकार उनसे राय मशविरा कर के फैसला करे। केंद्र के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष कृष्णबीर चौधरी ने कहा, 'यह बहुत कम है। इसे लाभप्रद या उचित मूल्य कतई नहीं कहा जा सकता। यह उन किसानों के साथ धोखा है जो डीजल, खाद, बीज और मजदूरी के बढते खर्च से तबाह हो रहे हैं।'
चौधरी ने कहा, 'मिलों ने इस बार किसानों से 280 रुपये क्विंटल के भाव पर गन्ना खरीदा, सरकार उसके आधे से भी कम मूल्य तय कर अपनी पीठ थपथपा रही है। यह मिल लॉबी के दबाव में लिया गया फैसला है।' (बीएस हिंदी)
24 अप्रैल 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें