नई दिल्ली April 21, 2010
चीनी की कीमत 9 महीने पुराने स्तर पर पहुंच चुकी है। मंगलवार को चीनी के थोक भाव 29.75-30 रुपये प्रति किलोग्राम बताए गए।
चीनी मिलों में ये भाव 2700-2750 रुपये प्रति क्विंटल रहे। कीमतों में गिरावट के साथ चीनी मिलों में पेराई का काम भी जारी है। उत्तर प्रदेश की 10 फीसदी तो महाराष्ट्र में 15 फीसदी से अधिक मिलों में गन्ने की पेराई चल रही है।
सरकार ने फिलहाल परिष्कृत चीनी पर आयात शुल्क लगाने से भी मना कर दिया है। चीनी मिलर्स परिष्कृत चीनी पर 30 फीसदी तक का आयात शुल्क लगाने की मांग कर रहे हैं। चीनी के थोक कारोबारियों के मुताबिक एक लंबे अंतराल के बाद चीनी की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आई हैं। लगभग एक माह से चीनी के दाम 3050-3150 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे थे।
ऐसे में कारोबारी चीनी की कीमतों में स्थिरता की बात कह रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि चीनी की कीमतें दो महीनों तक एक स्तर पर टिक गईं तो इसकी मांग में भी बढ़ोतरी हो सकती है। टॉफी, कैंडी व मिठाई निर्माता लागत में बदलाव के डर से इन दिनों अधिक मात्रा में चीनी की खरीदारी करने से परहेज कर रहे हैं। इससे मांग अपने सामान्य स्तर पर कायम है।
हालांकि गत वर्ष अप्रैल माह में चीनी की कीमत 2400-2500 रुपये प्रति क्विंटल चल रही थी। इस लिहाज से चीनी के भाव अब भी लगभग 500 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है। दूसरी तरफ चीनी के गिरते भाव से मिलर्स काफी परेशानी में हैं। उनकी दलील है कि पिछले साल गन्ने के भाव 140-150 रुपये प्रति क्विंटल थे। इस बार गन्ने के भाव 260 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
ऐसे में उनकी लागत 2900 रुपये प्रति क्विंटल तक चली गई है। मिलर्स यह भी कहते हैं कि 7 मई तक संसद का सत्र चलेगा और इस दौरान सफेद चीनी के आयात पर शुल्क लगने की भी कोई उम्मीद नहीं है। सफेद चीनी के आयात पर शुल्क लगने के बाद ही उन्हें कुछ राहत मिलने की संभावना है।
चीनी की थोक कीमत अधिकतम 44 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी। उसके बाद कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकारी उपायों से लगातार गिरावट आ रही है। (बीएस हिंदी)
21 अप्रैल 2010
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