14 अप्रैल 2010
गर्मी बढ़ने से गेहूं की पछैती फसल पर संकट
कृषि वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि चालू माह के दौरान सामान्य से ज्यादा तापमान होने के कारण देरी से बोई गई गेहूं की फसल की पैदावार प्रभावित हो सकती है। अनायास तापमान बढ़ने के कारण पछैती फसल पर असर पड़ने से गेहूं का कुल उत्पादन घट सकता है। हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनीवर्सिटी हिसार के वाइस चांसलर के. एस. खोखर ने यहां एक सिंपोजियम के बाद संवाददाताओं को बताया कि पछैती फसल खासकर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों में बोई जाती है। इसकी पैदावार पर प्रभाव पड़ सकता है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में करीब 20-25 फीसदी एरिया में पछैती खेती होती है। इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक एच. एस. गुप्ता ने भी यह अंदेशा जाहिर करते हुए कहा कि इसके कुल पैदावार पर थोड़ा असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि पूर्वी क्षेत्र में गेहूं की कुछ पछैती फसल बोई गई है। इस पर भी असर पड़ने की आशंका है। अधिकारिक अनुमान के अनुसार चालू सीजन में देश में 802.8 लाख टन गेहूं का उत्पातदन होने की संभावना है। लेकिन कृषि मंत्रालय ने 820 लाख टन गेहूं का उत्पादन होने की उम्मीद जताई है। सामान्य तौर पर गेहूं की फसल अक्टूबर से दिसंबर के बीच बोई जाती है और इसकी कटाई अप्रैल से जून के मध्य होती है। पंजाब के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ज्यादा तापमान से निश्चित ही पछैती फसल पर असर पड़ेगा। इससे गेहूं की पैदावार घट सकती है लेकिन गिरावट कितनी होगी, इसका अनुमान एक सप्ताह में लग पाएगा, जब गेहूं की सप्लाई जोर पकड़ेगी।सर्दियों में मौसम अनुकूल रहने के कारण पंजाब को 160 लाख टन गेहूं का उत्पादन रहने की उम्मीद थी। अधिकारी ने कहा कि अगर मार्च में सर्दियां कुछ दिनों और खिंच जाती तो उत्पादन 160 लाख टन को भी पार कर जाता। अनायास तापमान बढ़ने के कारण अब हमें 155 लाख टन गेहूं का उत्पादन होने का अनुमान है। उच्च तापमान के कारण सिंचाई के लिए नहरी पानी की कमी होने के कारण भी गेहूं की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ने का अंदेशा है।बात पते कीअगर मार्च में सर्दियां कुछ दिनों और खिंच जाती तो पंजाब में उत्पादन 160 लाख टन को पार कर जाता। अनायास तापमान बढ़ने के कारण 155 लाख टन गेहूं का उत्पादन होने का अनुमान है। (बिज़नस भास्कर)
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