नई दिल्ली April 23, 2010
इस साल सामान्य मॉनसून रहने के जो संकेत मिले हैं उसके आधार पर भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि देश भर में होने वाली 89 सेंटीमीटर की औसत बारिश की 98 फीसदी बारिश जून से लेकर सितंबर के दौरान ही होगी। यह अनुमान 5 फीसदी ऊपर या नीचे हो सकता है।
हालांकि मॉनसून कब तक आएगा इसके अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं। आमतौर पर 1 जून तक मॉनसून केरल तट या फिर उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में दस्तक दे देता है। यहां से मॉनसून 10 जून तक मुंबई और कोलकाता पहुंचता हैं जबकि दिल्ली में इसका आगमन 29 जून के आसपास ही होता है। जुलाई के मध्य तक देश भर में बारिश होने लगती है।
2010 मॉनसून का पूर्वानुमान 5 मानकों वाले सांख्यिकी मॉडल पर आधारित है। जून में इसे और पक्का करने के लिए 6 मानकों वाले सांख्यिकी मॉडल से भी जांचा जाएगा। मौसम विभाग ने बताया कि इन दोनों मॉडलों में 3 मानक समान हैं। इस जानकारी को मौसम विभाग जून में मॉनसून के आने के बाद जारी करेगा।
पिछले साल 17 अप्रैल को भी मौसम विभाग ने 96 फीसदी की सामान्य बारिश होने का अनुमान जताया था। लेकिन विभाग का यह अनुमान गलत निकला और सिर्फ 77 फीसदी बारिश ही हुई, जिससे देश के कई हिस्सों में सूखा पड़ गया था। यहीं नहीं इसके बाद 24 जून को जारी किये गए नए अनुमान में विभाग ने 93 फीसदी बारिश की संभावना जताई, जो गलत निकली।
दरअसल 2007 से ही मौसम विभाग मॉनसून के अनुमान के लिए दो मॉडलों का इस्तेमाल कर रहा है। एक मॉडल के इस्तेमाल से वह लंबी अवधि के लिए मॉनसून का अंदाजा लगाते हैं और दूसरे मॉडल से जून में सुधार के साथ आंकड़े घोषित किये जाते हैं। लेकिन पिछले दो-तीन साल से इस्तेमाल किये जा रहे इन मॉडलों के आधार पर लगाया गया मॉनसून का अनुमान गलत हो रहा है, जिससे इन मॉडलों की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है।
हालांकि मौसम विश्लेषकों का मानना है कि इस बार मौसम विभाग का अनुमान सही हो सकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मौसम संगठनों ने भी इस बार सामान्य मॉनसून रहने की उम्मीद जताई है। इसके साथ ही मौसम विभाग अल नीनो (प्रशांत महासागर के गर्म होने की प्रक्रिया) पर भी लगातार नजर रखे हुए है।
मौसम विभाग ने कहा, 'दिसंबर के अंत से अल नीनो कमजोर होने लगा है। कई आंकड़ों से यही संकेत मिल रहे हैं कि देश में मॉनसून की शुरुआत तक अल नीनो कमजोर ही रहने के आसार हैं। इसके बाद के महीनों में इसमें और गिरावट की उम्मीद है।'
कुछ मॉडलों से ला नीना (इसका प्रभाव अल नीनो के विपरीत होता है और यह भारतीय मॉनसून के लिये अच्छा माना जाता है) के बनने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले साल से मौसम विभाग प्रयोगात्मक मॉनसून अनुमानों के लिए विकसित देशों के मौसम संस्थानों द्वारा अपनाए गए तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है।
अबके बरस सावन में...
देश भर में जून से सितंबर तक होगी 98 फीसदी बारिश अंतरराष्ट्रीय मौसम संगठनों ने भी जताई यही उम्मीदअभी पता नहीं कि मॉनसून कब देगा पहली दस्तक (बीएस हिंदी)
24 अप्रैल 2010
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