नई दिल्ली April 16, 2010
चीनी की कीमतों में 35 फीसदी तक की गिरावट से चॉकलेट-टॉफी निर्माता से लेकर मिठाई एवं बिस्कुट उत्पादकों ने राहत की सांस ली है।
टॉफी निर्माण की सैकड़ों अति लघु इकाइयां बंद होने से बच गई। निर्माताओं ने टॉफी का वजन बढ़ा दिया है। बिस्कुट उत्पादक कीमत कम करने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन दूध, पिस्ता एवं घी की कीमतों में बढ़ोतरी से मिठाई की उत्पादन लागत में कोई कमी नहीं है।
टॉफी, कैंडी, बिस्कुट
टॉफी निर्माताओं के मुताबिक चीनी के भाव 44 रुपये से 30-31 रुपये प्रति किलोग्राम होने से ग्लूकोज के दाम भी 28 रुपये से घटकर 23 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं। चीनी के भाव बढ़ने से टॉफी व कैंडी उत्पादन में ग्लूकोज का इस्तेमाल बढ़ गया था।
सिरसा के टॉफी निर्माता अश्विनी बाथला कहते हैं, 'चीनी में गिरावट से 25 पैसे प्रति कैंडी वाली सैकड़ों घरेलू इकाइयां बंद होने से बच गई। लागत में कमी से 2.4 ग्राम की टॉफी 2.7 ग्राम तो 3.75 ग्राम वाली टॉफी 4 ग्राम की हो गई है। टॉफी व कैंडी में चीनी का योगदान 40-70 फीसदी तक का होता है। चीनी के भाव में स्थिरता नहीं होने सेटॉफी निर्माता अब भी अतिरिक्त उत्पादन से परहेज कर रहे हैं।
चीनी की घटी हुई कीमत का लाभ बिस्कुट उपभोक्ताओं को मिल सकता है। ऑल इंडिया बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के महासचिव केपी मोहनदास कहते हैं, 'बिस्कुट निर्माता कीमत में कमी या बिस्कुट की मात्रा बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। 24 अप्रैल को बिस्कुट निर्माताओं की बैठक है।'
मिठाई
करोलबाग स्थित चुन्नीलाल स्वीट्स के मालिक नरेंद्र गुलाटी बताते हैं, 'पिछले 45 दिनों में पिस्ता पिसोरी के भाव 650 रुपये से बढ़कर 1900 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए। गैस की कीमत 30 रुपये बढ़ गई, दूध के दाम 2-3 रुपये प्रति किलो तक बढ़े। ऐसे में हम मिठाई की कीमत कम करने की स्थिति में नहीं है।' (बीएस हिंदी)
16 अप्रैल 2010
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