मुंबई April 28, 2010
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया है कि उभरते बाजारों की ओर से मांग बढ़ने की वजह से जिंसों की मांग में तेजी बनी रहेगी।
यह धातुओं, कच्चे तेल, यहां तक कि कृषि जिंसों के लिए भी सही है। दीर्घावधि के हिसाब से देखें तो इन तीनों जिंसों में तेजी जारी रहेगी। आईएमएफ वर्ल्ड इकोनॉमिक रिपोर्ट के मुताबिक यह उत्पादकों पर निर्भर होगा कि वे अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग किस तरह से करते हैं।
जिंसों की कीमतें, खासकर रिर्सोस जिंसों की कीमतें चालू कैलेंडर वर्ष में भी तेज बनी रहेंगी। लौह अयस्क और निकल की कीमतें 40 प्रतिशत तक बढ़ी हैं, वहीं कोयले के दाम 10 प्रतिशत, स्टील के दाम 22-26 प्रतिशत बढ़े हैं। जनवरी के बाद से कच्चे तेल और पेट्रोकेमिकल्स- जैसे पीवीसी की कीमतों में 10 प्रतिशत तक की तेजी आई है।
उभरते बाजारों में चीन द्वारा जिंसों का आयात जारी है। इस समय चीन का आयात 2008 की आखिर में आई मंदी के बाद सर्वोच्च स्तर पर है। चीन द्वारा बडे पैमाने पर आयात जारी है और पिछले मार्च महीने के आंकड़ों से भी यह स्पष्ट होता है।
बार्कलेज की रिपोर्ट के मुताबिक- इस साल मार्च में चीन द्वारा तांबे, तेल और स्टीम कोल का आयात उसके सर्वोच्च आयात के दूसरे स्थान पर रहा। वहीं प्लैटिनम का आयात सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले उच्च स्तर से बहुत ज्यादा है। चीन ने सोयाबीन और कपास जैसे कृषि जिंसों का भी आयात बड़े पैमाने पर किया है।
आईएमएफ ने अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा है कि उभरते हुए देशों में मांग तेज है। 2009 में जिंस संबंधित संपत्तियों में निवेश की रफ्तार तेज हुई है। अनुमानों के मुताबिक 2009 के अंत तक जिंस संबंधित संपत्ति में निवेश 257 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो 2008 के सर्वोच्च स्तर से ही कम है।
अमेरिका के जिंस वायदा नियामक कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन (सीएफटीसी) के आंकड़ों से भी संकेत मिलता है कि निवेशकों ने कीमतें बढ़ने के अनुमान से हेजिंग की है। डेलोटे टच तोहमात्सु इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की वरिष्ठ निदेशक कल्पना जैन ने कहा, 'जिंसों की कीमतें बढ़ने से संकेत मिल रहा है कि अर्थव्यवस्था में मजबूती आ रही है और विकास की रफ्तार ठीक है। कीमतें बढ़ने से महंगाई दर पर कुछ असर पड़ने की उम्मीद है।' (बीएस हिंदी)
29 अप्रैल 2010
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