नई दिल्ली April 27, 2010
लीची भी समय से पहले की गर्मी का शिकार बन गई। झुलसा देने वाली धूप एवं नमी की भारी कमी से लीची के फल सूख कर नीचे गिर रहे हैं।
उत्तराखंड से लेकर बिहार तक लीची के उत्पादन में 50-70 फीसदी तक की गिरावट है। उत्तराखंड के लीची उत्पादक इसे 10 साल का सबसे बड़ा नुकसान बता रहे हैं। वहीं मुजफ्फरपुर में अब लीची की रखवाली करने की जरूरत नहीं समझी जा रही है।
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (लीची) के अधिकारी कौशल किशोर कुमार के मुताबिक 40-45 फीसदी लीची अब तक नष्ट हो चुकी है। बिहार में पिछले साल 1.60 लाख टन लीची का उत्पादन था जो कि इस साल घट कर 1 लाख टन तक रह सकता है।
हालांकि किसान सिर्फ 40 फीसदी उत्पादन का अनुमान लगा रहे हैं। 20 एकड़ में लीची की खेती करने वाले मुजफ्फरपुर के किसान केशव नंदन कहते हैं, 'शाही लीची 80 फीसदी तक बर्बाद हो चुकी है वहीं चाइना 60 फीसदी तक। किसान हर छठे दिन बागों में पानी पटा रहा है, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। लीची के फल लगातार टूट कर गिर रहे हैं।'
वे बताते हैं कि पिछले साल उनके बागान में 3 टन लीची का उत्पादन हुआ था। इस साल 50 क्विंटल से अधिक की उम्मीद नहीं है। कुमार कहते हैं, 'इलाके में नमी मात्र 14 फीसदी तक है। तापमान जरूरत से 5-6 डिग्री सेल्सियस अधिक है। ऐसे में नुकसान लाजिमी है। हमलोग अब अधिक तापमान में भी लीची की खेती को कारगार बनाने पर काम कर रहे हैं।'
बिहार से समस्तीपुर इलाके के बागवानी अधिकारी नागेश्वर ठाकुर कहते हैं, 'कुछ इलाकों में लीची के पेड़ भी गर्मी से सूख रहे हैं। इस प्रकार की गर्मी लगातार जारी रही तो बाजार में लीची की आवक में वाकई आधी कमी हो जाएगी।' मुजफ्फरपुर में लीची तोड़ने का काम 11-13 मई से शुरू होता है।
उत्तराखंड के लीची किसान पिछले साल के मुकाबले मात्र 30-40 फीसदी लीची उत्पादन का अनुमान लगा रहे हैं। गर्म हवा बहने से लीची की फसल में बीमारी लग गई है। उत्तराखंड लीची उत्पादक संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक इस साल लीची की कीमत थोक मंडी में 70 रुपये प्रति किलोग्राम से शुरू हो सकती है और 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकती है।
गत वर्ष उत्तराखंड में 7 जून को लीची की पहली खेप मंडी में आई थी और इसकी कीमत 55 रुपये प्रति किलोग्राम तय हुई थी।
भारी गर्मी और नमी की कमी से फसल चौपट
उत्तराखंड से लेकर बिहार तक लीची उत्पादन में 50-70 फीसदी तक उत्पादन गिरा उत्तराखंड में 10 साल का सबसे बड़ा नुकसानबिहार में पिछले साल 1.6 लाख टन लीची का उत्पादन हुआ था, जो इस साल 1 लाख टन तक सिमटेगाइलाके में नमी 14 फीसदी कम, तापमान जरूरत से 4-5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा
लीची उत्पादन
2007 403000 टन2007-08 418,000 टन 2008-09 423,000 टनस्त्रोत : एनएचबी (बीएस हिंदी)
28 अप्रैल 2010
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