मुंबई April 06, 2010
करीब दो दशक पहले यह सोचा गया था कि हीरे के बाजार को दक्षिण मुंबई के पंचरत्न से पश्चिम के बाहरी इलाके में बने बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स में लाया जाए जो सिंगल विंडो की सुविधा के साथ एक नया कारोबारी केंद्र है।
यह सपना तब हकीकत में बदल गई जब एमएमआरडीए (मुंबई मेट्रोपोलिटन रिजनल डेवलपमेंट ऑथोरिटी) ने आखिरकार अधिकार प्रमाणपत्र 31 मार्च को बोर्स को दे दिया। बोर्स अब अप्रैल के अंत तक अपने सदस्यों से हिस्सेदारी के आवंटन पर विचार-विमर्श करने के लिए तैयार हैं।
उसके बाद सदस्य अपने मौजूदा परिसर को नए लोकेशन पर ले जाएंगे। बोर्स के अध्यक्ष अनूप मेहता को यकीन है कि दो महीने के भीतर नए परिसर में व्यावसायिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। करीब 4 महीने में यह परिसर पूरी तरह से भर जाएगा।
आयातित कच्चे हीरे और निर्यात के माल की क्लियरिंग के लिए एक कस्टम ऑफिस बनाने की योजना है। कुछ बैंकों को स्थानीय रूप से परिचालन करना होगा ताकि आयातकों और निर्यातकों के बीच कारोबार के लिए गारंटी पेपर की प्रक्रिया आसानी से पूरी हो सके। इन सभी बाधाओं के बावजूद मेहता का कहना है कि परिसर में व्यावसायिक गतिविधि अब से 6 महीने में सामान्य हो जाएगा।
एमएमआरडीए के डिप्टी मेट्रोपोलिटन कमिश्नर अनिल वानखेड़े ने यह स्पष्ट किया कि अधिकार प्रमाणपत्र जारी किया गया है ताकि बिना किसी देरी के कारोबारी गतिविधियां शुरू हो जाएगी। वैश्विक हीरे के कारोबार में भारत की प्रमुख भूमिका के मद्देनजर विकास एक महत्वपूर्ण कदम है। फिलहाल दुनिया भर के 10 खराब हीरे में से 9 का प्रसंस्करण भारत में होता है।
मेहता का कहना है कि भारत डायमंड बोर्स का अच्छी तरह से विकास करने से भारत में ज्यादा कारोबार की गुंजाइश बनेगी। भारत डायमंड बोर्स की योजना नए दौर के कॉम्प्लेक्स की तरह ही बनाई गई है जिसमें सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद होंगी। इस कॉम्प्लेक्स में 30 बैंकों की योजना बनाई गई है।
इसके अलावा एक कस्टम हाउस की सुविधा भी होगी। सुरक्षा को वैश्विक बाजार के स्तर के मुताबिक ही रखा गया है और करीब 24,500 सेफ डिपोजिट वॉल्ट्स हैं। इस परियोजना की शुरूआत वर्ष 1992 में की गई थी और इसका प्रारंभिक अनुमान 600 करोड़ रुपये का है।
लेकिन बीडीबी कमेटी, आर्किटेक्ट और इसके ठेकेदार के बीच विवाद और सदस्यों द्वारा भुगतान न करने की वजह से यह परियोजना वर्ष 1998 में स्थगित कर दी गई। इसे वर्ष 2001 में फिर से शुरू किया गया।
सूत्रों के मुताबिक आवंटन के बाद भी कई जानकारियों के मुद्दे पर बोर्स के 2,427 सदस्यों की आपस में लड़ाई हो गई। इसी वजह से कई सदस्यों ने लागत के अंतर को देखते हुए भुगतान जारी नहीं किया। इससे कमेटी के सदस्यों के बीच में मतभेद शुरू हो गया।
हालांकि कई सदस्यों ने अपने बकाये की राशि को ब्याज सहित दे दिया है। अब भी 18 लाख वर्ग फुट के योजनागत क्षेत्र में से 14 लाख वर्ग फुट क्षेत्र का आवंटन पहले से ही कर दिया गया है। कुछ क्षेत्र सामान्य उपयोगिता के लिए रखा गया है जिसकी बिक्री नहीं की जाएगी और इसका इस्तेमाल, कस्टम क्षेत्र, कॉन्फ्रें स हॉल और दूसरी सुविधाओं के लिए किया जाएगा।
सदस्यों ने पहले से ही अपने आवंटित क्षेत्र के मुताबिक हिस्सेदारी के प्रमाणपत्र का आवंटन कर दिया गया है जिसमें न्यूनतम 300 वर्ग फीट और अधिकतम 15,000 वर्ग फुट है। बोर्स के उपाध्यक्ष सतीशचंद्र शाह का कहना है, 'अब सारे मतभेद खत्म हो गए हैं और अब हम भारतीय हीरा उद्योग की बेहतरी के लिए एक साथ काम करने के लिए तैयार हैं।'
पहले 20 लाख वर्ग मीटर के कुल कवरेज क्षेत्र के साथ 8 टॉवर का प्रावधान किया गया था ताकि एक ट्रेडिंग हॉल बनाया जा सके जो सदस्यों के लिए एक जरूरी चीज है। कस्टम क्षेत्र करीब 20 हजार वर्गफुट के करीब है। (बीएस हिंदी)
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