खाद्यान्नों की खरीद और वितरण करने वाली प्रमुख एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने विश्वास व्यक्त किया है कि प्रस्तावित खाद्य कानून के तहत दिए जाने वाले गेहूं और चावल की जरूरत को पूरा करने के लिए उसके पास पर्याप्त स्टाक होगा।
प्रस्तावित खाद्य कानून का उद्देश्य गरीब लोगों को हर महीने निर्धारित मात्रा में गेहूं और चावल का एक विशेष कोटा देने का कानूनी अधिकार प्रदान करना है।
एफसीआई के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सिराज हुसैन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली और प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून के तहत जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे पास पर्याप्त स्टाक होगा।
उन्होंने कहा कि एफसीआई और राज्य सरकार की एजेंसियां जरूरतों को पूरा करने का इंतजाम करेंगी।
एक अप्रैल की स्थिति के अनुसार, एफसीआई द्वारा प्रबंधित किये जाने वाले केन्द्रीय पूल में 267.13 लाख टन चावल और 161.25 लाख टन गेहूं था।
कृषि मंत्री शरद पवार ने सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा था कि सरकार को बगैर किसी खामी वाले खाद्य सुरक्षा कानून का मसौदा तैयार करने के कुछ और समय चाहिये। इस कानून के तहत गरीबों तीन रुपये प्रति किलोग्राम के मूल्य पर चावल या गेहूं पाने का कानूनी अधिकार हासिल हो जाएगा।
मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) ने 18 मार्च को खाद्य सुरक्षा विधेयक का मसौदा मंजूर किया था, लेकिन इस तरह की चर्चाओं कि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी खाद्यान्न की मात्र 35 किलोग्राम किये जाने तथा लाभ प्राप्त करने वालों के दायरे को बढ़ाने सहित विधेयक में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन चाहती हैं, विधेयक को पुन: उसके पास लौटा दिया गया।
खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 16 प्रतिशत से अधिक होने के मद्देनजर ईजीओएम की बैठक हुई, जो फिर से तीन सप्ताह के भीतर मसौदा विधेयक पर विचार विमर्श करेगी। (हिंदुस्तान हिंदी)
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