मुंबई April 08, 2010
सरसों की पेराई करने वाली मिलों ने अपनी पेराई क्षमता 10 प्रतिशत घटा दी है।
पिछले साल कुल क्षमता की 50 प्रतिशत पेराई हो रही थी, जो अब कम होकर 40 प्रतिशत रह गई है। इसकी प्रमुख वजह कीमतों में भारी अंतर है। सरसों के दाम ज्यादा हैं, जबकि तेल के दाम उसकी तुलना में बहुत कम हैं।
मिलों को इस समय एक क्विंटल सरसों की पेराई पर 1500 रुपये का घाटा हो रहा है। इसके चलते वे कच्चे माल की खरीदारी से बच रही हैं और उन्होंने प्रसंस्करण कम कर दिया है। सरसों में औसतन 40 प्रतिशत (यह 36-42 प्रतिशत होता है) प्रतिशत तेल निकलता है। इस हिसाब से 1 टन तेल तैयार करने के लिए 2.5 टन सरसों की जरूरत होती है।
इस समय सरसों के भाव 28-29 रुपये प्रति किलो हैं, जिससे सरसों तेल उत्पादन की लागत 73 रुपये प्रति किलो आती है। वर्तमान में कच्ची घानी सरसों तेल की कीमतें 55-58 रुपये प्रति किलो के बीच हैं। इस समय सरसों की आपूर्ति भी बहुत कम है। किसान और छोटे कारोबारी अधिक दाम की आस में माल रोके हुए हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि बाद के दिनों में उन्हें सरसों के ज्यादा दाम मिलेंगे।
सरसों की फसल की कटाई और मड़ाई के लिए इस समय किसानों को मजदूरों की कमी के संकट से भी जूझना पड़ रहा है। सरसों की तैयार फसल को खेत में नहीं छोड़ा जा सकता, क्योंकि इससे बीज बर्बाद होने लगते हैं। इसके चलते किसानों के सामने भी संकट है।
देश की सबसे बड़ी तिलहन पेराई मिल केएस ऑयल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब यह खतरा हो गया है कि किसान अगले साल हो सकता है कि तिलहन की बुआई से बचें। सरसों के दाम कम होने की वजह से राज्य की मंडियों में सरसों की आवक भी घटी है, जबकि इस सीजन में मिलें पूरी रफ्तार से चलती हैं।
कारोबार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस समय अब तक की कुल आवक 3 से 3.5 लाख बोरी (1 बोरी 75 किलो) है जबकि पिछले साल इस अवधि में आवक 6 लाख बोरी थी। देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान से आवक इस समय तक 2.5 लाख बोरी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में आवक 3.5 लाख बोरी थी।
खंडेलिया ऑयल ऐंड जनरल मिल के प्रबंध निदेशक देवी प्रसाद खंडेलिया ने कहा कि मिलें इंतजार कर रही हैं कि सरसों के भाव 450-460 रुपये प्रति 20 किलो तक आएं, जिससे पेराई व्यावहारिक हो सके। बहरहाल सरसों की कीमतों में नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में भी तेज बढ़ोतरी हो रही है। जुलाई डिलिवरी की कीमतों में तेजी है।
हाजिर मांग बढ़ने से कारोबारी एक्सचेंज में खरीदारी कर रहे हैं। सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फार ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड के अनुमानों के मुताबिक देश में वर्ष 2009-10 (अक्टूबर-सितंबर) में सरसों का कुल उत्पादन 64 लाख टन रहेगा, जबकि पिछले साल 67 लाख टन उत्पादन हुआ था।
किसान व मिल मालिक परेशान
मिलों की पेराई अब कुल क्षमता के 40 फीसदी रह गईसरसों महंगा और तेल सस्ता होने से पेराई में हो रहा है 1500 रुपये प्रति टन का घाटाकिसानों को उनके उम्मीद के मुताबिक कीमत न मिलने से मंडी में सरसों की आवक में आई है कमी (बीएस हिंदी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें