08 अप्रैल 2010
गेहूं एमएसपी से नीचे, एफसीआई लगा लीपापोती में
गेहूं का ज्यादा उत्पादन किसानों के लिए परशानी का सबब बन गया है। एक ओर तो सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में मात्र 20 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, वहीं दूसरी ओर सरकारी खरीद शुरू न होने के कारण उत्तर प्रदेश की मंडियों में दाम घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 100-130 रुपये प्रति क्विंटल नीचे आ गया हैं। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के हेड ऑफिस से चंद कदम दूर लारेंस रोड पर गेहूं का भाव घटकर 1085-1090 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है, लेकिन सरकार इससे बेखबर है।विपणन सीजन 2010-11 हेतु गेहूं की सरकारी खरीद को शुरू हुए एक सप्ताह हो चुका है, लेकिन गेहूं उत्पादन में देश के अग्रणी राज्य उत्तर प्रदेश की मंडियों में अभी तक न तो राज्य सरकार और न ही एफसीआई ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू की है। भारतीय खाद्य निगम के नवनियुक्त अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सिराज हुसैन ने भी माना कि उत्तर प्रदेश में अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं हो पाई है। वहीं, उत्तर प्रदेश में खरीद शुरू न होने के कारण जो किसान हरियाणा की मंडियों में गेहूं बेचना चाहते हैं उन्हें बार्डर पर रोक लिया जाता है। भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष कृष्णबीर चौधरी ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि किसान का गेहूं एमएसपी से नीचे न बिके, इसलिए उसे तुरंत उचित कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी तो आवक शुरू ही हुई है। जैसे ही आवक का दबाव बनेगा, भाव और भी घटेंगे। किसान संघ के सलाहकार नरश शिरोही ने कहा कि केंद्र ने गेहूं के एमएसपी में 20 रुपये की मामूली बढ़ोतरी की है। उधर बीज, खाद और डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के कारण किसानों की लागत काफी बढ़ गई है। इसके बावजूद किसान को एमएसपी से नीचे दाम पर गेहूं बेचना पड़ रहा है। यह राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार की भी नाकामी है। उत्तर प्रदेश की हरदोई मंडी के व्यापारी भजनलाल गुप्ता ने बताया कि अभी तक गेहूं की सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है, जबकि मंडी में आवक बढ़कर 25-30 हजार क्विंटल हो गई है। इसलिए किसानों को मजबूरन समर्थन मूल्य से 120-130 रुपये प्रति क्विंटल नीचे के दाम पर गेहूं बेचना पड़ रहा है। मंडी में बुधवार को गेहूं का दाम घटकर 970-980 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। शाहजहांपुर मंडी के गेहूं व्यापारी संजीव अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश की मंडियों में दाम घटने के कारण हरियाणा और पंजाब के व्यापारी भी उत्तर प्रदेश से गेहूं की खरीद कर रहे हैं। पंजाब में गेहूं खरीद पर 13.5 फीसदी और हरियाणा में 10.5 फीसदी के मुकाबले उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद पर 6.5 फीसदी के ही खर्चे हैं, इसलिए इन राज्यों के व्यापारी भी उत्तर पद्रेश की मंडियों से गेहूं की खरीद कर रहे हैं। बुलंदशहर जिले के बेहटा गांव के किसान भारत भूषण त्यागी ने बताया कि सरकार ने गेहूं की खरीद शुरू नहीं की है, इसलिए मंडी में भाव घटकर 980-1000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। चालू सीजन में गेहूं का उत्पादन 802 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि एक अप्रैल को केंद्रीय पूल में गेहूं का शेष स्टॉक तय मानक के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। चालू विपणन सीजन 2010-11 में एफसीआई ने 262.67 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है जो पिछले साल हुई 253.82 लाख टन की कुल खरीद के मुकाबले ज्यादा है। इसलिए प्राइवेट कंपनियां गेहूं की खरीद में रुचि नहीं ले रही हैं। केंद्रीय पूल में एक अप्रैल को गेहूं का स्टॉक 70 लाख टन के तय मानकों के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा 161.25 लाख टन बचा हुआ है।अन्यायबीज, खाद और डीजल की कीमतें बढ़ने से किसानों की लागत काफी बढ़ गई है। ऐसे में किसानों को एमएसपी से कम दाम पर गेहूं बेचना पड़ रहा है। इससे सरकार की नाकामी झलकती है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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