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08 अप्रैल 2010

चीनी बिक्री के नियम में मिलों को मिली राहत

घरेलू बाजार में चीनी के दाम घटने के साथ ही सरकार ने चीनी बिक्री के नियम में मिलों को राहत दे दी है। अभी तक मिलों को मासिक कोटे में से साप्ताहिक उपकोटे के अनुसार चीनी बेचनी पड़ती थी। अब मिलों को पाक्षिक कोटे के अनुसार चीनी की बिक्री करने की अनुमति दे दी गई है।सरकार को चीनी के उत्पादन से लेकर बिक्री तक विभिन्न स्तरों पर नियंत्रण करने का अधिकार है। मिलों को खुले बाजार में बिक्री के लिए मासिक कोटा दिया जाता है। जनवरी में चीनी के फुटकर दाम 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंचने पर सरकार ने साप्ताहिक कोटे के अनुसार चीनी की बिक्री करने का आदेश दे दिया था। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब मिलों को पाक्षिक कोटे के अनुसार नॉन-लेवी की चीनी बेचने की अनुमति दे दी गई है।अधिकारी के मुताबिक सरकार ने अप्रैल के लिए पहले सप्ताह में 13 फीसदी और दूसर सप्ताह में 29 फीसदी मासिक कोटे की चीनी खुले बाजार में बेचने का निर्देश दिया था। अब मिलों को कुल 42 फीसदी चीनी पहले पखवाड़े में बेचनी होगी। बाकी 58 फीसदी चीनी मिलें दूसर पखवाड़े में बेच सकेंगी। हाल में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन और नेशनल फेडरशन ऑफ कोआपरटिव शुगर फैक्ट्रीज ने सरकार से मांग की थी कि साप्ताहिक कोटे के अनुसार बिक्री की व्यवस्था खत्म की जाए। उद्योग ने चीनी के आयात पर शुल्क लगाने, बड़े चीनी उपभोक्ता जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स, बिस्कुट व कन्फैक्शनरी निर्माताओं की स्टॉक लिमिट बढ़ाने और उनके द्वारा चीनी आयात पर रोक लगाने की भी मांग की थी। अधिकारी ने बताया कि सरकार ने उद्योग की एक मांग मान ली है। बाकी मांगों पर विचार किया जा सकता है। पिछले तीन माह में चीनी के दाम काफी घट चुके हैं। देश में चीनी की पर्याप्त सप्लाई हो रही है। इसी वजह से सरकार उद्योग को राहत दे रही है। उद्योग ने चालू सीजन में 175-180 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान लगाया है जबकि हर साल 230 लाख टन चीनी की खपत होती है। पिछले साल अप्रैल में आयात शुल्क हटाए जाने के बाद देश में 47।3 लाख टन रॉ शुगर और 8.70 लाख टन व्हाइट शुगर आयात की जा चुकी है। इस समय खुले बाजार में चीनी के फुटकर भाव करीब 34 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। (बिज़नस भास्कर)

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