दिल्ली April 08, 2010
दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देश भारत में चालू सत्र में चीनी का उत्पादन अनुमान 30 लाख टन तक बढ़ने से चीनी की वैश्विक कीमतों में कमी आ रही है।
देश ने अगले सत्र के उत्पादन अनुमानों में भी सुधार कर इसे 200 लाख टन से 230 लाख टन कर दिया है। इससे आगे आयात की संभावनाओं पर विराम लग गया है। दुनिया के सबसे बड़ चीनी उत्पादक देश ब्राजील में भी उत्पादन मौसम की शुरुआत हो चुकी है और इस बार यहां बंपर उत्पादन की उम्मीद की जा रही है।
इन दोनों वजहों से वैश्विक कीमतों पर दबाव निश्चित है। ब्राजील की मिलों में 2010-11 के चीनी सत्र की शुरुआत पहली अप्रैल से हो गई है। यहां इस सत्र में 340 लाख टन से ज्यादा चीनी उत्पादन की उम्मीद है।
यहां 2009-10 के 286.3 लाख टन की तुलना में करीब 19 फीसदी ज्यादा चीनी उत्पादन का अनुमान है। भारत में भी 150 लाख टन के पहले के अनुमान के मुकाबले 180 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद है।
देश में अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले सत्र के लिए उत्पादन अनुमान को बढ़ाकर 230 लाख टन कर दिया गया है।ब्राजील में बंपर उत्पादन की उम्मीद और भारत में उत्पादन अनुमानों में बढ़ोतरी किए जाने से चीनी की वैश्विक कीमतों का कम होना तय हो गया है।
पाकिस्तान जैसे देशों ने चीनी आयात की योजनाओं को फिलहाल रोक दिया है। चीनी की बढ़ते भाव पर लगाम लगना उपभोक्ताओं के लिए खुशाी की खबर है। खुदरा स्तर पर चीनी के भाव 34 रुपये प्रति किलो तक गिर चुके हैं। एक महीने पहले भाव 45 रुपये प्रति किलो पर थे। तब से भाव में करीब 24 फीसदी की कमी आ चुकी है। उपभोक्ता कीमतों में थोड़ी और कमी की उम्मीद कर सकते हैं।
बलरामपुर चीनी के प्रबंध निदेशक और भारतीय चीनी मिल संघ के अध्यक्ष विवेक सरावगी ने कहा, 'किसानों को गन्ने के अच्छे दाम मिले और इसलिए उन्होंने इस बार ज्यादा रकबे में गन्ने की खेती की है। अगले सत्र में चीनी का उत्पादन काफी ज्यादा रहेगा और भाव में कमी देखने को मिलेगी। चीनी के दाम कम करने के लिए सरकार ने जो कड़े कदम उठाए थे उनमें अब ढील दी जानी चाहिए। ( बीएस हिंदी)
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