मुंबई October 04, 2010
मंत्रिमंडल द्वारा फॉरवर्ड कॉन्ट्रेक्ट रेग्युलेशन ऐक्ट में संशोधन के लिए विधेयक को मंजूरी दिए जाने के साथ ऑप्शन और इंडेक्स फ्यूचर्स की शुरुआत की पेशकश को अमली जामा पहनाया जा सकता है। हालांकि इस पहल को वास्तविक रूप से शुरू किए जाने में 6-8 महीने का समय लग सकता है। इसके लिए संसद में अंतिम रूप दिए जाने के अलावा नियामक द्वारा नियम एवं प्रावधान तैयार किए जाने की जरूरत होगी। ऑप्शन कारोबार से किसानों द्वारा हेजिंग में सुधार आएगा और कॉरपोरेट एवं कृषि जिंस सेगमेंट में भी मजबूती आएगी। डेरिवेटिव बाजार हेजिंग और इससे जुड़े जोखिम को घटाए जाने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत में अब तक सिर्फ वायदा कारोबार की ही अनुमति है जिसमें हेजिंग काफी महंगी है और वायदा में डेली मार्क टु मार्केट मार्जिन की जरूरत होती है। ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत से हेजिंग आसान हो सकती है, क्योंकि जोखिम किसी ऑप्शन की खरीदारी के लिए चुकाए जाने वाले प्रीमियम तक सीमित है। वायदा कारोबार में डेली मार्क टु मार्केट मार्जिन चुकाए जाने की जरूरत होती है जिसमें किसान या किसी कंपनी को अमल करने में दिक्कत आएगी। कई कॉरपोरेट घरानों को परामर्श मुहैया कराने वाली जोखिम सलाहकार फर्म कॉमट्रेंड्ïस रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'ऑप्शन सुविधा हेजिंग की लागत घटाए जाने के साथ साथ जोखिम घटाए जाने के लिहाज से भी फायदेमंद है और कई कंपनियां जिंसों में अपने जोखिम को कम करने के लिए इस तरह के इंस्ट्रूमेंट्ïस का इंतजार कर रही हैं।Óएक्सचेंज के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, 'ऑप्शन कारोबार कैसे काम करेगा और वैश्विक कार्य प्रणालियां किस तरह की होंगी? इन सब से अवगत होने के लिए हमने काम पहले ही शुरू कर दिया है।Óइसमें दो विकल्प हैं- कॉल ऑप्शन (अगर आप कीमतों के ऊपर जाने की संभावना देख रहे हैं तो इसे खरीदें) और पुट ऑप्शन (अगर आपको कीमतों में नीचे जाने की उम्मीद हो तो पुट ऑप्शन को चुनें)। (BS Hindi)
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