30 अक्तूबर 2010
अनाज भूखों को खाने दें चूहों को नहीं: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा है कि गोदामों में खाद्यान्न को सड़ाने, समुद्र में फेंकने या चूहों द्वारा खाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि वह देश के भूखे और बीपीएल परिवारों को अतिरिक्त खाद्यान्न क्यों नहीं दे देती। जस्टिस दलवीर भंडारी तथा दीपक वर्मा की बेंच ने कहा, ‘नौ वर्ष पहले कोर्ट ने आदेश पारित किया था। इसमें कहा गया था कि खासकर भारतीय खाद्यान्न निगम के गोदामों में उपलब्ध अतिरिक्त अनाज को बर्बाद नहीं किया जाए। उसे समुद्र में फेंककर या चूहों द्वारा खाकर बर्बाद नहीं होने देना चाहिए। जब तक योजनाओं को लागू नहीं किया जाता तब तक उनका कोई उपयोग नहीं है। जरूरी यह है कि खाद्यान्न भूखों तक पहुंचे।’ बेंच ने ये विचार अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल मोहन पराशरन द्वारा स्थगन चाहे जाने के बाद जारी आदेश में जताए। पराशरन का कहना था कि इस मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल को जानकारी देनी थी। लेकिन वे चीफ जस्टिस की अदालत में व्यस्त होने के कारण आ नहीं पाए। बेंच ने कहा कि पर्याप्त खाद्यान्न रखना खाद्य सुरक्षा मुहैया करने और किसानों के हितों की रक्षा करने के लिहाज से जरूरी है। कुल मिलाकर हम यह कहना चाहते हैं कि एकत्रित किया गया अनाज समुचित रूप से संरक्षित रखा जाए। (Dainik Bhaskar)
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