मुंबई October 04, 2010
घरेलू स्तर पर टायर की कीमतों में भारी उछाल आने के बाद विदेशों से मोटरसाइकिल के सस्ते टायरों का आयात किया जा रहा है। पिछले कुछ माह से देश में प्राकृतिक रबर के दाम बढऩे से टायर निर्माताओं ने भी लागत खर्च मे बढ़ोतरी का हवाला देते टायरों के दाम बढ़ा दिए है। इसके चलते मोटरसाइकिल समेत दोपहिया वाहनों के टायरों का चीन जैसे देशों से आयात किया जा रहा है। टायर विनिर्माता संघ (एटीएमए) के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जुलाई माह के दौरान टायर का आयात पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 13 गुना बढ़ा है। बताया जाता है कि देश में मोटरसाइकिल समेत दोपहिया वाहनों की बिक्री बढऩे से इनके टायरों की खपत में भारी इजाफा हुआ है। अप्रैल-जुलाई माह के दौरान दोपहिया वाहनों के टायरों की मांग 28 फीसदी बढ़कर 36.6 लाख टन पहुंच गई है। इस साल जुलाई के अंत तक आयातित मोटरसाइकिल टायरों की संख्या बढ़कर 5,35,022 इकाई पहुंच गई है। पिछले साल इसी अवधि में केवल 41,051 टायरों का आयात किया गया था। इतना ही नहीं बीते पूरे साल के दौरान जितने टायरों का आयात किया गया था उससे कहीं ज्यादा टायरों का आयात चालू कारोबारी साल के पहले चार माह में ही हो चुका है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मोटरसाइकिल के टायरों का आयात किस गति से बढ़ रहा है। टायर विनिर्माता संघ के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया कि भारत की तुलना में चीन में तैयार दोपहिया वाहनों के टायर एक तिहाई से भी कम कीमत पर मिल जाते हैं। कारण यह है कि वहां लागत खर्च काफी कम है। एटीएमए के महानिदेशक राजीव बुद्घिराजा ने कहा कि आंकड़ों को देखें तो एक आयातित मोटरसाइकिल टायर का दाम 300 रुपये के करीब पड़ता है जबकि देश में इससे अधिक पैसा कच्चे माल पर ही खर्च हो जाता है। एक टायर बनाने में करीब 1.5 किलो प्राकृतिक रबर की खपत होती है। इस समय प्रकृतिक रबर की कीमतें काफी ज्यादा होने से मोटरसाइकिल के एक टायर का लागत खर्च काफी बढ़ जाता है। केवल दोपहिया वाहनों के टायर ही क्यों बस, कार, ट्रक और अन्य वाहनों के टायरों के लिए भी देश आयात पर निर्भर है। ताइवान, चीन, दक्षिण कोरिया आदि देशों से सस्ते टायरों का आयात काई सालों से होता आ रहा है। व्यावसायिक वाहनों के टायरों की मांग पूरा न होने के चलते ही अशोक लीलैंड आदि विभिन्न वाहन निर्माता कंपनियों ने चीन आदि देशों से टायरों की आपूर्ति की। हालांकि एटीएमए का दावा है कि मोटरसाइकिल टायरों की मांग में वृद्घि खुदरा विक्रेताओं और निजी आयातकों की वजह से हुई है। इसका वाहन निर्माताओं से कोई लेना-देना नहीं है। उल्लेखनीय है कि सीएट, अपोलो टायर और जेके टायर जैसी कंपनियों ने साल के शुरुआत में ही टायरों के दामों में 5 से 8 फीसदी तक का इजाफा किया था। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें