जयपुर October 14, 2010
राजस्थान में दलहनों की अधिक पैदावार किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। अधिक फसल होने के कारण दलहनों के भाव आसमान से जमीन पर आने लगे हैं और किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। दलहनों पर लागू स्टॉक सीमा और विक्रय अवधि सीमा लागू होने के कारण व्यापारी भी अधिक माल खरीदने से कतरा रहे हैं। हाल ही में हुई राजस्थान खाद्य व्यापार महासंघ की बैठक में अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए महासंघ ने राज्य के खाद्य मंत्री को दलहनों पर लगी स्टॉक और विक्रय अवधि सीमा हटाने और केंद्रीय खाद्य मंत्री को दलहनों के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का प्रस्ताव भेजा है। पिछले साल दालों के दाम में तेजी को देखते हुए राज्य सरकार ने एक साल के लिए दालों और चने पर स्टॉक सीमा और विक्रय अवधि सीमा लागू की थी। यह समय सीमा 30 सितंबर को समाप्त हो गई थी, लेकिन सरकार ने इसे और एक साल के लिए बढ़ा दिया है। स्टॉक सीमा के तहत एक व्यापारी 45 दिन के लिए अधिकतम 1000 क्विंटल दलहन और 75 दिन के लिए 3000 क्विंटल चना रख सकता है। गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार किसानों और व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए 15 दिन में यह सीमा नहीं हटाती है, तो राज्य के व्यापारी इसके खिलाफ कठोर कदम उठा सकते हैं।जयपुर के दलहन व्यापारी श्याम नाटाणी ने बताया कि किसानों ने 70 रुपये के भाव देखकर मूंग की बुआई की थी। उन्हें इस बार भाव 50 रुपये किलो रहने की उम्मीद थी, लेकिन फिलहाल इसका भाव 3,200 रुपये से 4,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है जबकि अभी तो आवक शुरू ही हुई है। इस साल राज्य में 5 लाख टन मूंग की उपज होने की उम्मीद है। (BS Hindi)
16 अक्टूबर 2010
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