मुंबई October 13, 2010
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने घरेलू स्तर पर खुले मार्केट में बिक्री योजना (ओएमएसएस) के अंतर्गत गेहूं बेचने के लिए नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) के साथ करार किया है। ओएमएसएस भारतीय खाद्य निगम द्वारा शुरू की गई गेहूं बिक्री योजना है। इस योजना के तहत एफसीआई बड़े ग्राहकों जैसे रोलर फ्लोर मिलों को अपने बफर स्टॉक बेचता है। यह करार 11 अक्टूबर, 2010 को हुआ और इसकी वैधता 31 मार्च, 2011 तक रहेगी। कीमतों को नियंत्रित करने की एफसीआई की यह एक योजना है । बाजार में अक्सर देखा जाता है कि अक्टूबर-मार्च के समय गेहूं के स्टॉक बाजार में खत्म होने से भाव चढऩे की आशंका रहती है। एफसीआई जैसी अनेक सरकारी कंपनियों ने पूरे देश में अपने जिंसों की बिक्री के लिए एनएसईएल के मंच का उपयोग किया है। एनएसईएल के भाव चूंकि पूरे देश में दिखती है, इसलिए हाजिर बाजार में इसका प्रभाव अधिक होता है। एफसीआई एनएसईएल का सदस्य है और बहुत से रोलर फ्लोर मिल्स एनएसईएल के सदस्य हैं। मंडियों में भी गेहूं के भाव एफसीआई की तुलना में अधिक होते हैं। गैर सीजन में हाजिर मंडियों में गेहूं के स्टॉक कम हो जाते हैं। इसलिए इस सीजन यानी अक्टूबर 10 से मार्च 11 तक ओएमएसएस के तहत गेहूं बेचना अत्यंत सफल रहेगा। एफसीआई के महाप्रबंधक सुभाष जाडू ने कहा कि नैशनल स्पॉट एक्सचेंज एक अत्यंत विशाल संरचना वाला पारदर्शक और प्रभावी बोली लगाने का मंच है। इस मंच से सौदा करने वाले क्रेताओं की बड़ी संख्या है। ई-नीलामी में सौदा करने करने से समय पर भुगतान व डिलिवरी होती है। हमारे पूर्व अनुभवों के अनुसार एनएसईएल पर न सिर्फ क्रेता बल्कि एफसीआई को भी सौदा करने में आसानी होती है। साथ ही बेचे गए मालों की डिलिवरी भी आसान व जल्दी हो जाती है। हमें पूरा विश्वास है कि इससे हमारे एक प्रभावी और एकीकृत बाजार के निर्माण का लक्ष्य पूरा हो सके। एनएसईएल के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अंजनि सिन्हा के अनुसार सरकारी कंपनी एफसीआई जिस मकसद से हमें यह काम सौपा है उसको सफलता पूर्वक किया जाएगा। गेहूं के भावों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को यदि हम अपनी संरचना और विशेषता देते हैं तो यह हमारे लिए गर्व की बात होगी। हमें लगता है कि हमारे मंच से पूरे देश में लाखों टन गेहूं की बोली लगाई जा सकती है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें