मुंबई October 29, 2010
बढिय़ा और दमदार रिटर्न हासिल करना हो तो रकम कहां लगानी चाहिए? सोने-चांदी में, शेयर में या जमीन जायदाद में? जवाब है, किसी में भी नहीं। रकम लगानी है तो मेंथा तेल में लगाइए। दरअसल दीवाली पर खत्म हो रहे संवत वर्ष 2066 में सबसे तगड़ा रिटर्न इसी कृषि जिंस ने दिया है। इस दौरान मेंथा तेल ने इस दौरान तकरीबन 120 फीसदी मुनाफा कमाया है, जो रिकॉर्ड है।दीवाली पर संवत वर्ष 2066 खत्म हो जाएगा और कारोबारी अपने बहीखाते से माथापच्ची कर रहे हैं, यह पता लगाने के लिए कि इस साल किस सौदे में सबसे ज्यादा फायदा हुआ और अगले संवत्सर में लक्ष्मी किस पर मेहरबान हो सकती हैं। लेकिन यह पहेली बूझने पर कारोबारियों को हैरानी हो रही है क्योंकि इस संवत्सर में मुनाफे के मामले में कृषि जिंस अव्वल रही हैं। सोने ने इस साल तकरीबन 24 फीसदी रिटर्न दिया है। इसी तरह चांदी ने 32 फीसदी, प्रॉपर्टी ने 30 फीसदी और शेयर बाजार ने 15 फीसदी रिटर्न दिया है। लेकिन मेंथा तेल के लिए आंकड़ा 120 फीसदी रहा है।पिछले साल हल्दी ने सबसे ज्यादा रिटर्न दिया था और इस साल मेंथा तेल मुनाफे का बादशाह रहा है। मेंथा तेल हाजिर और वायदा दोनों बाजार में मुनाफे के मामले में अव्वल रहा है। इसकी असल वजह मांग और आपूर्ति में भारी अंतर को माना जा रहा है। पिछले साल दीवाली के वक्त मेंथा तेल 520 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा था, लेकिन मांग बढऩे के साथ उसका भाव भी आसमान की ओर चल दिया। इस वक्त वायदा बाजार में इसका भाव 1,130 रुपये प्रति किलो और हाजिर बाजार में 1,190 रुपये प्रति किलो के आसपास चल रहा है।ऐंजल ब्रोकिंग की जिंस विश्लेषक वेदिका कहती हैं, 'पिछली दीवाली पर मेंथा तेल का भाव ज्यादा नहीं था, लेकिन बाजार में कमी ने ही इसके भाव को हवा दी। दुनिया भर की जरूरत का 80 फीसदी मेंथा तेल भारत में ही होता है। उत्पादन कम हुआ तो विदेश से इसका आयात भी नहीं हो सकता। मेंथा की बुवाई इस बार कम हुई है और इस खबर से भी इसका भाव चढ़ गया है।' सरकारी अनुमान के अनुसार इस साल देश में 25,000 टन मेंथा का उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल से 30 फीसदी कम है। हालांकि वेदिका कहती हैं कि मेंथा तेल के भाव में अब ज्यादा इजाफा नहीं होगा क्योंकि पहले ही यह चरम तक पहुंच चुका है।मेंथा तेल चाहे न चढ़े, लेकिन कारोबारियों को मालामाल करने वाली दूसरी जिंस कपास और अरंडी के तेल की कीमतें अभी और ऊपर जा सकती हैं। इस साल कपास का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 50 लाख गांठ अधिक होने की बात कही जा रही है। इसी वजह से सरकार ने 55 लाख गांठ कपास निर्यात की इजाजत भी दे दी है। शेयरखान कमोडिटी के विश्लेषक मेहुल अग्रवाल कहते हैं, 'कपास की कमी तो देश में नहीं है, लेकिन निर्यात की खबर को नकारात्मक शक्ल देकर सटोरिये भाव चढ़ा रहे हैं। सरकार इन पर नकेल कसती है तो भाव सही रहेंगे, लेकिन सरकार ने सुस्ती दिखाई तो कपास भी रिकॉर्डतोड़ भाव पर पहुंच जाएगा।'अग्रवाल के मुताबिक अरंडी के बीज के भाव कुछ दिन चढ़े रहेंगे क्योंकि दीवाली पर इनका खूब इस्तेमाल होता है। इनकी मांग भी इस वक्त ज्यादा है। इस साल कृषि जिंसों को देखें तो हल्दी ने 19.20 फीसदी, अरंडी बीज ने 25.67 फीसदी, रबर और जौ ने 24 फीसदी, सोया तेल ने 19 फीसदी, इलायची ने 14 फीसदी, काली मिर्च ने 8 फीसदी और जौ ने 3 फीसदी तक रिटर्न दिया है।दिलचस्प है कि चालू संवत्सर ने मेंथा किसानों को मालामाल कर दिया है, लेकिन आलू की खेती करने वाले बेहाल हो गए हैं। आलू किसानों को इस दरम्यान तकरीबन 58 फीसदी नुकसान उठाना पड़ा है। इसकी वजह जबरदस्त पैदावार रही। (BS Hindi)
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