नई दिल्ली October 03, 2010
तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने चीनी उद्योग और डिस्टलरियों की तरफ से मिले एथेनॉल आपूर्ति के प्रस्तावों में से 70 फीसदी को ही आशय पत्र जारी किए। ये कंपनियां इसके लिए एक और निविदा ला सकती हैं। उद्योग जगत की ओर से 1 अरब लीटर एथेनॉल के लिए ही प्रस्ताव पेश किए गए थे। इनमें 30 फीसदी तकनीकी आधार पर खारिज कर दिए गए क्योंंकि वे यह बताने में असमर्थ रहे कि एथेनॉल में प्रयोग किया गया शीरा कहां से आया। ओएमसी द्वारा जारी निविदा के मुताबिक, पेट्रोल में मिश्रित किया जाने वाला एथेनॉल भारत में किसी बायोमास जैसे चीनी मिल में निर्मित होना चाहिए और उसमें स्टार्च का मिश्रण भी हो। चीनी उद्योग के एक अधिकारी ने बताया, 'मुख्य रूप से डिस्टलरियों के आवेदन खारिज किए गए हैं और इनमें से अधिकांश महाराष्ट्र की हैं, जो चीनी मिलों (जिनके पास एथेनॉल की सुविधा नहीं है।) से शोधित स्पिरिट खरीदती हैं। ऐसी इकाइयां यह बताने में असमर्थ रहीं कि उन्होंने शीरा कहां से लिया।Óपिछले माह आई 1.05 अरब लीटर की निविदा के विपरीत एथेनॉल उत्पादकों ने 1 अरब लीटर के लिए प्रस्ताव पेश किए थे। यह पेट्रोल में मिश्रित करने के लिए आवश्यक 86 करोड़ लीटर से कहीं ज्यादा है। इंडियन ऑयल के एक अधिकारी ने बताया कि ओएमसी ने 70 फीसदी प्रस्तावों के लिए ही आशय पत्र जारी किए हैं। इस प्रकार यह मिश्रण कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर तब तक साल भर संचालित नहीं किया जा सकता, जब तक जरूरी शीरे के लिए निविदा नहीं मिल जातीं। चीनी उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि अगर एक नई निविदा लाई जाती है तो उद्योग की ओर से नए प्रस्ताव भी मिल सकते हैं क्योंकि गन्ने के अच्छे उत्पादन का अनुमान जताया जा रहा है। बीते सालों से पेट्रोल में 5 फीसदी एथेनॉल मिलाया जाता रहा है। बीते साल अक्टूबर में गन्ने के कम उत्पादन के कारण इसकी आपूर्ति घटने से इसको लेकर कुछ समस्या पैदा हुई थी। 2006 से 2009 के दौरान 1.80 अरब लीटर की मांग की तुलना में चीनी उद्योग ने सिर्फ 58.50 करोड़ लीटर की ही आपूर्ति की। इसके चलते पिछले साल ओएमसी ने आपूर्ति का करार तोडऩे वाली चीनी कंपनियों पर जुर्माना लगाने की मांग की थी।एथेनॉल को हरित ईंधन माना जाता है। इसके मिश्रण से कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता काफी हद तक कम होगी। कुछ ओएमसी ने खुद ही एथेनॉल उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है। उदाहरण के लिए हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने 2008 में घाटे में चल रही बिहार की 2 चीनी मिलों को खरीदा था। ये मिलें दिसंबर से एथेनॉल का उत्पादन शुरू कर देंगी। (BS Hindi)
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