मुंबई October 20, 2010
इस साल 106 प्रतिशत मॉनसूनी बारिश के चलते जमीन में पर्याप्त नमी रही। इसके चलते तिलहन के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। तेल वर्ष 2010-11 (नवंबर से अक्टूबर) में उत्पादन 15-18 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है। इस कारोबार से जुड़े एक दर्जन से ज्यादा प्रतिनिधियों- जिसमें किसान, कारोबारी, आयातक और कारोबार प्रतिनिधि शामिल हैं, ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि कुल उत्पादन 232 से 243 लाख टन तक रहने का अनुमान है। पिछले साल कुल 205.1 लाख टन उत्पादन हुआ था। इसमें खरीफ के तिलहन उत्पादन में करीब 63 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है। कारोबारियों के मुताबिक इस साल 142 लाख टन तिलहन उत्पादन होगा। वहीं पिछले साल कुल 122.8 लाख टन तिलहन उत्पादन हुआ था। इस सत्र की शुरुआत में मॉनसूनी बारिश कम होने की वजह से किसानों की गतिविधियां देर से देखने को मिली। मॉनसून के जोर पकडऩे पर किसानों ने तिलहन की बुआई तेज कर दी। इसका परिणाम यह हुआ कि बुआई का रकबा 0.32 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 175 लाख हेक्टेयर हो गया। जबकि पिछले साल 174 लाख हेक्टेयर रकबे में तिलहन की बुआई हुई थी। तिलहन के उत्पादन के शुरुआती अनुमान की तुलना में पुनरीक्षित अनुमानों में उत्पादन बढऩे की उम्मीद की गई है। खासकर मूंगफली उत्पादन का अनुमान 39 लाख टन से बढ़ाकर 44 लाख टन कर दिया गया है। वहीं सोयाबीन उत्पादन 95 लाख टन से मामूली गिरकर 92-95 लाख टन रहने का अनुमान है। एक प्रमुख खाद्य तेल विश्लेषक और उद्योग जगत के जाने माने जानकार गोविंदभाई पटेल ने कहा, 'शुरुआती अठखेलियों के बाद मौसम अनुकूल हो गया, जो पूरे खरीफ सत्र के दौरान बेहतर रहा। देर से हुई बारिश और देश भर में इसके प्रसार के चलते कुल उत्पादन के अनुमानों में बाद में बढ़ोतरी करनी पड़ी। सोयाबीन की कीमतें घरेलू बाजार में ज्यादा रहने की वजह से किसानों ने सोयाबीन, सूरजमुखी और मूंगफली की बुआई के रकबे में बढ़ोतरी की। बहरहाल, रबी सत्र में सरसों की बुआई को गेहूं से जबरदस्त प्रतिस्पर्धा मिलने वाली है। 2010-11 में पेराई के लिए तिलहन की उपलब्धता भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा रहने की उम्मीद है। देश में कुल तिलहन उत्पादन का 80 प्रतिशत पेराई के काम आता है, जबकि शेष 20 प्रतिशत सीधे खाने, पशुओं के खाने और बीज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। देश में कुल खाद्य तेल का उत्पादन 13 प्रतिशत बढ़कर 2010-11 में 70 लाख टन रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल कुल 62 लाख टन उत्पादन हुआ था। सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (सीओओआईटी) के चेयरमैन सत्यनारायण अग्रवाल ने घरेलू तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा, 'उत्पादन में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी भारत में तेल की खपत को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। इससे भारत आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। इसलिए जरूरत है कि एक और हरित क्रांति आए, जो उच्च गुणवत्ता वाले हाइब्रिड बीज-जेनेटिकली मोडिफॉइड बीजों के माध्यम से आ सकती है, जिसे खाद्य तेलों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकती है।भारत में हर साल कुल खपत का करीब 55 प्रतिशत वनस्पति तेल का आयात होता है। देश में वनस्पति तेल की कुल जरूरत 157 लाख टन है। इसकी आपूर्ति अर्जेंटीना, इंडोनेशिया और मलेशिया से होती है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अध्यक्ष सुशील गोयनका ने कहा, 'मौसम की स्थिति को देखते हुए हम खरीफ और रबी दोनों सीजन में होने वाले तिलहन उत्पादन को लेकर आशावान हैं। ज्यादा उत्पादन से निश्चित रूप से आयात से निर्भरता कम होगी।गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री के मुताबिक, 'भारत में घरेलू उत्पादन बढऩे के बावजूद आयात में बढ़ोतरी होगी। देश में खाद्य तेल का आयात 2010-11 में 93 लाख टन पर पहुंच सकता है। इसकी वजह यह है कि देश में प्रति व्यक्ति तेल की खपत बढ़ी है और आबादी बढऩे के चलते तेल आयात में पाम ऑयल की हिस्सेदारी बढ़ रही है। मिस्त्री ने कहा कि सरकार को आयात शुल्क के बारे में फिर से विचार करना चाहिए। (BS Hindi)
21 अक्तूबर 2010
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